नयी दिल्ली, 28 जून (भाषा) राज्यसभा में शुक्रवार को एक सदस्य ने सरकार से मांग की कि विज्ञापनों के लिए अनिवार्य स्वघोषणा प्रमाणपत्र के क्रियान्वयन को परिचालन संबंधी चुनौतियों, अस्पष्टता और संभावित कानूनी चुनौतियों के मद्देनजर टाल दिया जाए।
निर्दलीय सदस्य कार्तिकेय शर्मा ने उच्च सदन में विशेष उल्लेख के जरिए यह मुद्दा उठाया और सुझाव दिया कि स्वघोषणा प्रमाणपत्र का क्रियान्वयन शुरू में चिकित्सा विज्ञापनों तक सीमित रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संबध में हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सभी विज्ञापनों- प्रिंट, डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक – के लिए स्वघोषणा प्रमाणपत्र की आवश्यकता वाले हालिया निर्देश का मकसद उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना और विज्ञापनों में ईमानदारी को बनाए रखना है।
शर्मा ने कहा, ‘हालांकि, इस निर्देश से कई परिचालन चुनौतियां सामने आ गई हैं… छोटे मीडिया हाउस द्वारा प्रकाशित कुछ विज्ञापनों के संबंध में अस्पष्टता बनी हुई है। प्रक्रिया की तकनीकी प्रकृति और सीमित संसाधनों के कारण ऐसे विज्ञापनदाताओं को अनुपालन करने में परेशानी हो सकती है।’’
लाखों लोगों की आजीविका प्रभावित होने की आशंका जताते हुए शर्मा ने कहा कि सरकार से यह अनुरोध है कि मंत्रालय विभिन्न दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन को तब तक के लिए टाल दे जब तक कि स्पष्ट और वस्तुनिष्ठ प्रक्रिया स्थापित नहीं हो जाए।
स्व-घोषणा मानदंड 18 जून को उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद लागू हुए, जिसमें निर्देश दिया गया है कि किसी भी विज्ञापन को छापने, प्रसारित करने या प्रदर्शित करने से पहले, विज्ञापनदाता या विज्ञापन एजेंसी को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के ‘ब्रॉडकास्ट सेवा पोर्टल’ पर एक स्व-घोषणा प्रस्तुत करनी होगी।
विशेष उल्लेख के जरिए ही, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समिक भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ चुनाव-बाद हुई कथित हिंसा की जांच की मांग की।
भाजपा के भीम सिंह ने कहा कि कई गरीब लोगों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मुफ्त राशन की आवंटित मात्रा नहीं मिल रही है। उन्होंने सरकार से राशन की दुकान चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
भाजपा के लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने विशेष उल्लेख के तहत मांग की कि सरकार को मेरठ सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खेलों के बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर देना चाहिए।
भाषा अविनाश पवनेश
पवनेश
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