नयी दिल्ली, 17 दिसंबर (भाषा) दिल्ली की वायु गुणवत्ता 24 दिनों के बाद मंगलवार को एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच गई, तथा निर्माण गतिविधियों और शहर में ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध सहित सख्त उपायों के बावजूद कई क्षेत्रों में प्रदूषण में काफी बढ़ोतरी देखी गई।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सोमवार को 379 के मुकाबले मंगलवार शाम चार बजे 433 के साथ ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया गया।
पिछली बार दिल्ली की वायु गुणवत्ता 23 नवंबर को 412 के साथ ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई थी।
विशेषज्ञों ने प्रदूषण में अचानक वृद्धि के प्राथमिक कारण के रूप में हवा की गति में उल्लेखनीय गिरावट की ओर इशारा किया।
उन्होंने बताया कि हवा की कम रफ्तार से स्थानीय प्रदूषक वायुमंडल में जमा हो गए हैं। उन्होंने बताया कि अगले दो दिनों तक एक्यूआई के ‘गंभीर’ श्रेणी में रहने की आशंका है।
दिल्ली के 35 निगरानी केंद्रों में से 28 में वायु गुणवत्ता का स्तर ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया, जबकि कुछ में एक्यूआई 450 को पार कर गया जो ‘अति गंभीर’ श्रेणी में आता है।
मंदिर मार्ग, जहांगीरपुरी, नरेला, नेहरू नगर, पटपड़गंज, पंजाबी बाग, रोहिणी, आईटीओ, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, डीटीयू, मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम, मंदिर मार्ग, पूसा, शादीपुर स्थित निगरानी केंद्रों ने एक्यूआई को ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज किया।
अलीपुर, आनंद विहार, अशोक विहार, बवाना, बुराड़ी, सीआरआरआई मथुरा रोड, नॉर्थ कैंपस, ओखला फेज 2, सिरीफोर्ट, सोनिया विहार और विवेक विहार में एक्यूआई ‘गंभीर प्लस’ श्रेणी में दर्ज किया गया।
‘‘ग्रैप’’ का पहला चरण एक्यूआई के 201 से 300 के बीच (खराब श्रेणी) होने पर, दूसरा चरण 301 से 400 के बीच (बहुत खराब) होने पर, तीसरा चरण 401 से 450 के बीच (गंभीर) होने पर और चौथा चरण 450 से अधिक (बहुत गंभीर) होने पर लागू होता है।
दिल्ली के प्रदूषण का मुख्य स्रोत वाहनों से निकलने वाला उत्सर्जन है, जिसका अति सूक्ष्म कण पीएम 2.5 में 18.8 प्रतिशत का योगदान है। फिलहाल, दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का कोई योगदान नहीं है, क्योंकि पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने का मौसम खत्म हो चुका है।
सोमवार को, दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के लिए केंद्र के वायु गुणवत्ता आयोग ने ‘‘ग्रैप’’ के तहत सबसे सख्त चौथे चरण के प्रतिबंध लगाए, जिसमें गैर-जरूरी सामान ले जाने वाले ट्रकों के दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबंध और कक्षा 10वीं और 12वीं को छोड़कर सभी वर्गों को ‘हाइब्रिड मोड’ में अनिवार्य रूप से स्थानांतरित करना शामिल है।
चौथे चरण में राजमार्ग, फ्लाईओवर, बिजली लाइनों और पाइपलाइनों जैसी सार्वजनिक परियोजनाओं सहित सभी निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियों पर प्रतिबंध भी शामिल है। गैर-जरूरी सामान ले जाने वाले डीजल ट्रकों को दिल्ली में प्रवेश करने पर प्रतिबंध है।
संबंधित घटनाक्रम में, अधिकारियों ने राष्ट्रीय राजधानी के सीमावर्ती क्षेत्रों में वाहनों की जांच तेज कर दी है। एक अधिकारी ने बताया कि जांच बढ़ाने के अलावा, दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी में वाहनों की आवाजाही के प्रबंधन के लिए रणनीतियों पर चर्चा करने को लेकर हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अपने समकक्षों के साथ एक अंतर-राज्यीय समन्वय बैठक की।
अधिकारी ने कहा, ‘‘प्रतिबंधों को सख्ती से लागू करने के लिए हम प्रमुख सीमा क्षेत्रों में संयुक्त चौकियां स्थापित करेंगे। ये चौकियां आवश्यक मानदंडों को पूरा न करने वाले वाहनों की निगरानी करेंगी और उनके प्रवेश को प्रतिबंधित करेंगी।’’
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि हर जिले में 10 पुलिस चौकियां स्थापित की जाएंगी। ये चौकियां शहर में चलने वाले बीएस-तीन पेट्रोल और बीएस-चार डीजल वाहनों पर जुर्माना लगाने के लिए जिम्मेदार होंगी।
भाषा सुरेश
सुरेश
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