दिल्ली चिड़ियाघर : मानसून में जानवरों को स्वस्थ रखने के लिए अपनाई जा रहीं आयुर्वेदिक पद्यतियां |

दिल्ली चिड़ियाघर : मानसून में जानवरों को स्वस्थ रखने के लिए अपनाई जा रहीं आयुर्वेदिक पद्यतियां

दिल्ली चिड़ियाघर : मानसून में जानवरों को स्वस्थ रखने के लिए अपनाई जा रहीं आयुर्वेदिक पद्यतियां

:   Modified Date:  July 4, 2024 / 06:21 PM IST, Published Date : July 4, 2024/6:21 pm IST

(नेहा मिश्रा)

नयी दिल्ली, चार जुलाई (भाषा) दिल्ली चिड़ियाघर के अधिकारी बारिश के मौसम में जानवरों को स्वस्थ रखने और उन्हें जीवाणु तथा विषाणु संक्रमण से बचाने के लिए नीम के तेल, हल्दी और चूना के साथ ही विभिन्न आयुर्वेदिक पद्यतियों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

दिल्ली चिड़ियाघर के निदेशक संजीत कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हम इस मौसम में जानवरों को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए तैयार हैं। हम नीम के तेल जैसे कुछ भारतीय घरेलू चीजों का इस्तेमाल करेंगे जो जानवरों को मच्छरों सहित विभिन्न कीट-पतंगों से बचाने में मदद करेंगे।’’

कुमार ने कहा कि नीम का तेल कीटाणुनाशक और मक्खी भगाने वाले औषधीय गुणों के रूप में काम करता है और हल्दी का उपयोग संक्रमण और घावों के इलाज के लिए किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हल्दी, सूजनरोधी और उपचारात्मक गुणों के लिए जानी जाती है।

उन्होंने बताया कि हल्दी लगाने से चोट और घाव जल्द भर जाते है।

भारी बारिश के कारण चिड़ियाघर के कुछ हिस्सों में अक्सर जलभराव हो जाता है जिससे मच्छरों के पनपने की आशंका बढ़ जाती है। इससे निपटने के लिए इन क्षेत्रों में चूने का छिड़काव किया जाएगा।

अधिकारी ने कहा, ‘‘हम मच्छरों को पनपने से रोकने और जानवरों को सुरक्षित रखने के लिए जलभराव वाले स्थानों पर चूने का उपयोग कर रहे हैं।’’

शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में हुई भारी बारिश का असर दिल्ली के चिड़ियाघर में देखने को मिला था। बारिश का पानी सुन्दरनगर की ओर से चिड़ियाघर की चारदीवारी में घुसने से बिजली आपूर्ति बाधित हो गई, जिससे बिजली घर क्षेत्र जलमग्न हो गया और ट्रांसफार्मर को नुकसान पहुंचा।

इससे जानवरों के बाड़े, प्रशासनिक कार्यालय और कर्मचारियों के आवास प्रभावित हुए। कुमार ने कहा कि ऐसी घटना दोबारा न हो, इसके लिए उपाय किए गए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘टूटी हुई चारदीवारी की मरम्मत की जा रही है और पानी के बहाव को नियंत्रित करने के लिए अवरोधक लगाए जा रहे हैं ताकि पानी जानवरों के बाड़ों तक न पहुंचे।’’

भाषा खारी अविनाश

अविनाश

 

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