दिल्ली: प्रदूषण प्रमाणपत्र के उल्लंघन के लिए वाहन चालकों पर 47 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया |

दिल्ली: प्रदूषण प्रमाणपत्र के उल्लंघन के लिए वाहन चालकों पर 47 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया

दिल्ली: प्रदूषण प्रमाणपत्र के उल्लंघन के लिए वाहन चालकों पर 47 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया

:   Modified Date:  October 30, 2024 / 07:57 PM IST, Published Date : October 30, 2024/7:57 pm IST

नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के बीच यातायात पुलिस ने प्रदूषण प्रमाणपत्र के उल्लंघन के लिए मोटर वाहन चालकों पर एक से 24 अक्टूबर के बीच कुल 47 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।

अधिकारी ने बताया कि यातायात पुलिस ने इस अवधि में 47 हजार से अधिक चालान काटे।

वैध प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) प्रमाणपत्र नहीं होने पर वाहन चालकों पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। चालान का निपटारा अदालत में होता है।

दिल्ली यातायात पुलिस से मिले आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर माह में एक विशेष अभियान चलाया गया, जिसमें एक से 24 तारीख के बीच पीयूसी उल्लंघन के लिए मोटर वाहन चालकों के 47,363 चालान काटे गए।

एक अधिकारी ने कहा कि शहर में वाहनों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, जिससे प्रदूषण बढ़ा है।

उन्होंने बताया, ‘इस महीने यातायात कर्मियों ने आईटीओ चौक, पीरागढ़ी, आश्रम चौक, आनंद विहार, महरौली सहित विभिन्न जगहों पर विशेष अभियान चलाया और 24 अक्टूबर तक लगभग 47,363 मोटर वाहन चालकों को बिना पीयूसी या ऐसे पीयूसी प्रमाणपत्र के साथ पकड़ा, जिनकी अवधि समाप्त हो चुकी थी।’

अधिकारी के अनुसार, अभियान जारी है और यातायात पुलिस कर्मियों को वाहनों की औचक जांच जारी रखने का निर्देश दिया गया है।

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि इस साल 24 अक्टूबर तक पीयूसी उल्लंघन के लिए कुल 2,50,761 चालान काटे गए। पिछले साल, इसी अवधि के दौरान यह संख्या 2,32,885, जबकि 2022 में 1,64,638 थी।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीडी) के मुताबिक, बुधवार को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 278 दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है।

दिल्ली यातायात पुलिस ने कहा कि उसका मकसद पीयूसी नियमों का सख्त अनुपालन एवं निगरानी सुनिश्चित करना है, ताकि मोटर वाहन चालकों के बीच उत्सर्जन मानकों पर अमल की संस्कृति विकसित की जा सके।

भाषा पारुल शफीक

शफीक

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)