(अपर्णा बोस)
नयी दिल्ली, 12 जनवरी (भाषा) राष्ट्रीय राजधानी के गाजीपुर लैंडफिल (कूड़े के पहाड) के आसपास रहने वाले लोगों के लिए खांसी, बुखार और अन्य सांस संबंधी बीमारियां पूरे साल की स्वास्थ्य समस्याएं हैं। यह कहना है, इस क्षेत्र में पैदा हुई और पली-बढ़ी 28-वर्षीय अंजना कुमारी का।
दिल्ली विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही गाजीपुर लैंडफिल के साये में रहने वाले लोग उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों से अपने मुद्दों को प्राथमिकता देने की अपील कर रहे हैं, क्योंकि वे प्रदूषण, स्वास्थ्य समस्याओं और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे से जूझ रहे हैं।
अपनी ऊंचाई और जहरीले उत्सर्जन के लिए कुख्यात यह लैंडफिल क्षेत्र के बाशिंदों के लिए पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी खतरों का लगातार स्रोत रहा है।
मानसून के दौरान नालियों का जाम होना, उनसे गंदे पानी का बाहर आ जाना, दूषित जल और सांस संबंधी बीमारियां जैसी समस्याएं क्षेत्र के लोगों को परेशान करती हैं। कई लोगों को ऐसा महसूस होता है कि उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों ने उन्हें उनके भाग्य पर छोड़ दिया है।
गाजीपुर निवासी शिव कुमार (30) ने कहा कि लैंडफिल के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा, ‘‘यहां लोग बीमार पड़ते हैं, लेकिन बहुतों को यह एहसास ही नहीं होता कि यह लैंडफिल के प्रदूषण के कारण है। मेरे चेहरे पर फंगल संक्रमण हो गया है, जो यहां आम बात है।’’
स्थानीय प्रशासन के प्रति निराशा व्यक्त करते हुए कुमार ने कहा, ‘‘यदि हम अपने मुद्दों को हल करने के लिए प्रतिनिधियों को वोट दे रहे हैं, तो फिर हम अकेले ही उनसे क्यों निपट रहे हैं? हम राजनेताओं पर जो भरोसा करते हैं, उस भरोसे का उन्हें सम्मान करना चाहिए।’’
गर्मियों में लोगों के सामने आने वाली दुश्वारियों का जिक्र करते हुए 28 वर्षीय अंजना ने कहा कि लैंडफिल में अक्सर आग लग जाती है और जहरीला धुंआ निकलता है।
अंजना ने कहा कि मानसून के दौरान नालियों का गंदा पानी गलियों में बहने लगता है, जिससे उनके क्षेत्र में जलभराव की स्थिति और खराब हो जाती है।
उन्होंने कहा, ‘‘गर्मियों के दिनों में अक्सर लैंडफिल में आग लग जाती है और उस दौरान कोई भी अपने घरों से बाहर नहीं निकल सकता। यहां तक कि बरसात में भी नालियों का गंदा पानी बाहर आ जाता है। यहां साल भर खांसी और बुखार आम बात है। हमें अगली सरकार से नालियों की सफाई और सीवर की मरम्मत करवाने की जरूरत है।’’
गाजीपुर लैंडफिल के पास चार दशकों से अधिक समय से रह रहे 63-वर्षीय सुखबीर सिंह ने बताया कि प्रदूषण और खराब सफाई व्यवस्था के कारण उन्हें सांस संबंधी समस्याएं हो गई हैं।
बीस वर्षीय सोमा सैफी ने बुनियादी साफ-सफाई की कमी की ओर इंगित किया और दावा किया कि लैंडफिल के कारण क्षेत्र के कई लोगों के फेफड़ों में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं।
भाषा राजकुमार सुरेश
सुरेश
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)