नयी दिल्ली, 10 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधिकरण ने देश की आंतरिक सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए हानिकारक गतिविधियों में संलिप्तता के लिए जमात-ए-इस्लामी (जेएआई), जम्मू-कश्मीर पर लगाए गए प्रतिबंध को वैध ठहराया है।
फरवरी में पांच साल के लिए प्रतिबंधित किए गए इस समूह के कुछ सदस्यों ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर में संपन्न विधानसभा चुनाव लड़ा था। इससे यह अटकलें लगाई जाने लगीं कि सरकार जमात-ए-इस्लामी, जम्मू-कश्मीर पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, (यूएपीए) 1967 के तहत लगाया गया प्रतिबंध हटा सकती है।
समूह को गैरकानूनी घोषित करते हुए गृह मंत्रालय ने इसके खिलाफ दर्ज 47 मामलों की सूची दी थी। इनमें हिंसक और अलगाववादी गतिविधियों के लिए धन जुटाने व प्रोत्साहन देने के आरोप में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा दर्ज मामला भी शामिल था।
गृह मंत्रालय ने कहा था कि इस धन का उपयोग हिज्ब-उल-मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और अन्य आतंकवादी संगठनों के सक्रिय कार्यकर्ताओं और सदस्यों द्वारा अपने कार्यकर्ताओं के सुस्थापित नेटवर्क के माध्यम से हिंसक विरोध प्रदर्शन आयोजित करने, सार्वजनिक अशांति और सांप्रदायिक विद्वेष पैदा करने के लिए किया गया था, जिससे जम्मू-कश्मीर और पूरे देश में भय और असुरक्षा की भावना पैदा हुई।
दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति नवीन चावला की सदस्यता वाले न्यायाधिकरण को लगता है कि यूएपीए की धारा 3(1) के तहत जेईए जम्मू-कश्मीर को गैरकानूनी संगठन घोषित करना सही है और केंद्र सरकार का 27 फरवरी की अधिसूचना के जरिए यूएपीए की धारा 3(3) के प्रावधान का सहारा लेना उचित था।”
भाषा जोहेब माधव
माधव
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