नयी दिल्ली, 18 दिसंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) की उस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा, जिसमें भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) को डब्ल्यूएफआई के कामकाज को चलाने के लिए एक तदर्थ समिति का पुनर्गठन करने की अनुमति देने के खिलाफ याचिका दायर की गई है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विभु बाखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय को याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया और सुनवाई पांच फरवरी, 2025 को तय की।
डब्ल्यूएफआई ने उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के 16 अगस्त के अंतरिम आदेश को चुनौती दी है, जिसमें कहा गया था कि तदर्थ समिति को भंग करने का आईओए का निर्णय, खेल मंत्रालय के उस आदेश के अनुरूप नहीं है, जिसमें दिसंबर 2023 में होने वाले चुनावों के तुरंत बाद डब्ल्यूएफआई को निलंबित कर दिया गया था।
एकल न्यायाधीश ने कहा कि जब तक निलंबन आदेश वापस नहीं लिया जाता, तब तक तदर्थ समिति के लिए महासंघ के मामलों का प्रबंधन करना आवश्यक है।
यह आदेश पहलवान बजरंग पुनिया, विनेश फोगट, साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान की याचिका पर आया। अंतरिम राहत के रूप में, डब्ल्यूएफआई की अपील में कार्यवाही लंबित रहने तक 16 अगस्त के आदेश पर रोक लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
सात महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न के लिए निवर्तमान डब्ल्यूएफआई प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर 2023 में विरोध प्रदर्शन करने वाले पहलवानों ने इस साल दिसंबर 2023 में महासंघ के पदाधिकारियों के चुनाव के लिए हुए चुनावों को रद्द करने और उन्हें अवैध घोषित करने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था।
बृजभूषण के वफादार संजय सिंह को 21 दिसंबर 2023 को हुए चुनावों में डब्ल्यूएफआई का नया प्रमुख चुना गया।
भाषा आशीष नरेश
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