नयी दिल्ली, 17 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने चुनाव चिह्न केवल मान्यता प्राप्त पंजीकृत दलों के लिए आरक्षित रखने संबंधी निर्वाचन आयोग के आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई जनता पार्टी की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विभु बाखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दे पर अन्य मामलों में उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय ने निर्णायक निर्णय दिये हैं।
पीठ ने कहा कि निर्णयों के अनुसार, राजनीतिक दल चुनाव चिह्न को अपनी ‘‘विशेष’’ संपत्ति नहीं मान सकते और यह स्पष्ट है कि कोई भी दल अपने ‘‘निराशाजनक प्रदर्शन’’ के कारण चुनाव चिह्न से वंचित हो सकता है।
पीठ ने कहा, ‘‘उपरोक्त तथ्यों के मद्देनजर, आदेश की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाकर्ता की याचिका खारिज की जाती है।’’
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि जनता पार्टी एक मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी थी और इसलिए वह गत वर्षों में अपने लिए निर्धारित चुनाव चिह्न ‘‘हल लिया किसान’’ का उपयोग करने का अधिकार सुरक्षित रखना चाहती थी।
अधिवक्ता ने दावा किया कि चुनाव चिह्न किसी भी राजनीतिक दल की स्वभाविक संपत्ति है, चाहे वह मान्यता प्राप्त हो या नहीं। उन्होंने दलील दी कि चुनाव चिह्न (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश मान्यता प्राप्त और गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रति भेदभावपूर्ण है।
अधिवक्ता ने कहा कि इस आदेश के तहत किसी पार्टी का चुनाव चिह्न इस आधार पर नहीं छीना जाना चाहिए कि उस पार्टी की मान्यता समाप्त हो गई है, क्योंकि वह पिछले चुनाव में छह प्रतिशत वैध वोट हासिल नहीं कर सकी थी।
निर्वाचन आयोग की ओर से अदालत में उपस्थित हुए अधिवक्ता सिद्धांत कुमार ने कहा कि यही मुद्दा पूर्व में याचिकाकर्ता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा उठाया गया था, और शीर्ष अदालत ने इस पर निर्णायक निर्णय दिया था।
भाषा धीरज सुभाष
सुभाष
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