नयी दिल्ली, तीन जनवरी (भाषा) उपराज्यपाल कार्यालय ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उच्चतम न्यायालय में ‘फरिश्ते’ योजना से जुड़ी अपनी याचिका वापस ले ली है, जिससे पता चलता है कि उनके दावे बेबुनियाद थे और इनका मकसद उपराज्यपाल वीके सक्सेना की छवि धूमिल करना था।
उपराज्यपाल कार्यालय ने कहा कि याचिका में मंत्री ने आरोप लगाया था कि बकाया भुगतान न होने के कारण यह योजना निष्प्रभावी हो गई है।
राजनिवास ने एक बयान में कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) ने अदालत में अपने ‘‘झूठ’’ का पर्दाफाश होने के डर से याचिका वापस ले ली।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ‘आप’ ने उपराज्यपाल कार्यालय के बयान को न्यायालय की अवमानना और उसकी कार्यवाही की गलत व्याख्या करने का प्रयास बताया।
वर्ष 2019 में ‘आप’ सरकार ने सड़क दुर्घटना के पीड़ितों को मुफ्त इलाज मुहैया कराने और घायलों को राहगीरों द्वारा अस्पताल ले जाने के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते ‘फरिश्ते दिल्ली के’ योजना शुरू की थी।
‘आप’ सरकार ने पिछले साल आरोप लगाया था कि उपराज्यपाल कार्यालय के हस्तक्षेप के कारण यह योजना निष्प्रभावी हो गई है। सरकार ने इस योजना के लिए धन जारी करने का आग्रह करते हुए उच्चतम न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की थी। बृहस्पतिवार को इसे वापस ले लिया गया।
उपराज्यपाल कार्यालय ने शुक्रवार को कहा, ‘‘यह ‘स्वीकृति’ है कि मंत्री द्वारा अपनी याचिका में किए गए सभी दावे निराधार और झूठे थे। ये उपराज्यपाल कार्यालय को बदनाम करने के इरादे से किए गए थे।’’
‘आप’ ने दावा किया कि याचिका को वापस इसलिए लिया गया, क्योंकि उच्चतम न्यायालय के नोटिस के कारण उपराज्यपाल सक्सेना पर ‘‘दबाव’’ पड़ने के चलते भुगतान कर दिया गया।
भाषा शफीक पारुल
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