नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीटीएफआई) के दैनिक कामकाज की देखरेख के लिए प्रशासक की नियुक्ति का आदेश देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर केंद्र और खेल संस्था से अपना पक्ष रखने को कहा।
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने जनहित याचिका पर केंद्र सरकार के साथ-साथ टीटीएफआई को भी नोटिस जारी किया।
याचिका में अनुरोध किया गया कि जब तक टीटीएफआई खेल संहिता का पूर्ण अनुपालन नहीं करता तब तक के लिए इसके राष्ट्रीय खेल महासंघ के दर्जे को निलंबित कर दिया जाए।
न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने 28 अक्टूबर को पारित आदेश में कहा, “नोटिस जारी किया जाता है। केंद्र सरकार और टीटीएफआई के वकील नोटिस स्वीकार करते हैं। वे चार सप्ताह के भीतर अपने जवाबी हलफनामे दाखिल करने की प्रार्थना करते हैं और उन्हें इसकी अनुमति दी जाती है।”
याचिकाकर्ता और पूर्व राष्ट्रीय स्तरीय टेबल टेनिस खिलाड़ी यथार्थ पांड्या ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि टीटीएफआई खेल संहिता का उल्लंघन करते हुए काम कर रहा है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि टीटीएफआई और उसके सहयोगियों के प्रशासन में एक प्रणालीगत विफलता थी, जिसके लिए न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
याचिका में कहा गया, “कई अदालती फैसलों और सरकारी निर्देशों के बावजूद खेल संहिता का लगातार गैर-अनुपालन, अपारदर्शी चुनाव, वित्तीय अनियमितताएं और नेतृत्व में जड़ता बनी हुई है।”
जनहित याचिका में टीटीएफआई को खेल संहिता के अनुपालन में पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अपनी वेबसाइट पर विस्तृत वित्तीय आंकड़े और फोरेंसिक ऑडिट प्रस्तुत करने के निर्देश देने की भी मांग की गई।
अधिवक्ता सरोजानंद झा और तुषार कुमार ने याचिकाकर्ता की ओर से दलील रखीं।
मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को होगी।
भाषा जितेंद्र माधव
माधव
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