दिल्ली उच्च न्यायालय ने विधि पाठ्यक्रमों में हाजिरी के मानदंडों पर बीसीआई का रुख जानना चाहा |

दिल्ली उच्च न्यायालय ने विधि पाठ्यक्रमों में हाजिरी के मानदंडों पर बीसीआई का रुख जानना चाहा

दिल्ली उच्च न्यायालय ने विधि पाठ्यक्रमों में हाजिरी के मानदंडों पर बीसीआई का रुख जानना चाहा

:   Modified Date:  October 16, 2024 / 05:58 PM IST, Published Date : October 16, 2024/5:58 pm IST

नयी दिल्ली, 16 अक्टूबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) से विधि पाठ्यक्रमों में हाजिरी की जरूरत पर अपने रुख को अंतिम रूप देने के लिए अपनी विधि शिक्षा समिति की ऑनलाइन बैठक बुलाने को कहा है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ एक विधि छात्र की आत्महत्या से उपजे मामले मामले पर सुनवाई कर रही थी। एमिटी लॉ कॉलेज के तृतीय वर्ष के विधि छात्र सुशांत रोहिल्ला ने हाजिरी कम होने के कारण सेमेस्टर परीक्षा देने से कथित तौर पर रोके जाने के कारण अगस्त 2016 में आत्महत्या कर ली थी।

उच्च न्यायालय ने पहले अनिवार्य हाजिरी मानदंडों पर सवाल उठाते हुए बीसीआई को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।

उच्चतम न्यायालय ने घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए सितंबर 2016 में यह याचिका शुरू की थी, लेकिन मार्च 2017 में मामला उच्च न्यायालय को सौंप दिया गया।

उच्च न्यायालय ने 14 अक्टूबर को बीसीआई की विधि शिक्षा समिति को बैठक आयोजित करने और दो हफ्ते के भीतर अपना हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।

एमिकस क्यूरी के रूप में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने उच्च न्यायालय को विभिन्न संस्थानों में आत्महत्या के कई मामलों की जानकारी दी।

इसके बाद अदालत ने उनसे इस बारे में एक नोट रिकॉर्ड पर रखने को कहा और मामले की अगली सुनवाई के लिए छह नवंबर की तारीख तय की।

अदालत ने मृतक छात्र के परिवार को अनुग्रह राशि देने के मामले में अपना रुख स्पष्ट करने के लिए एमिटी लॉ स्कूल को अतिरिक्त समय दिया।

एमिटी लॉ स्कूल के वकील ने तर्क दिया कि मामले में संस्थान की कोई गलती नहीं है और रोहिल्ला के माता-पिता को उसकी हाजिरी में कमी के बारे में पहले ही सूचित कर दिया गया था।

उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से उच्च शिक्षा में अनिवार्य उपस्थिति के संबंध में हितधारकों से किए गए परामर्श के निष्कर्षों के बारे में सूचित करने को कहा।

अदालत ने कहा कि केंद्र की ओर से दायर ‘संक्षिप्त नोट’ में सात अक्टूबर को सभी वैधानिक परिषदों, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के साथ हुई बैठक के निष्कर्म शामिल नहीं किए गए हैं।

भाषा पारुल माधव

माधव

पारुल

 

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