दिल्ली उच्च न्यायालय ने अदालती कार्यवाही की ‘लाइव स्ट्रीमिंग’ की मांग वाली याचिका खारिज की |

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अदालती कार्यवाही की ‘लाइव स्ट्रीमिंग’ की मांग वाली याचिका खारिज की

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अदालती कार्यवाही की ‘लाइव स्ट्रीमिंग’ की मांग वाली याचिका खारिज की

:   Modified Date:  August 27, 2024 / 10:39 PM IST, Published Date : August 27, 2024/10:39 pm IST

नयी दिल्ली, 27 अगस्त (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने यह कहकर अदालती कार्यवाही की ‘लाइव स्ट्रीमिंग’(सीधा प्रसारण) की मांग वाली याचिका को खारिज कर कि इस पहल के चरणबद्ध कार्यान्वयन और संबंधित समितियों के भीतर चल रहे विचार-विमर्श को देखते हुए, मामले में कोई भी न्यायिक हस्तक्षेप समय से पहले और अनुचित होगा।

याचिकाकर्ता ने जोर देकर कहा कि पिछले साल शुरू की गई ’लाइव स्ट्रीमिंग’ सुविधा में अदालती कार्यवाही की रिकॉर्डिंग भी शामिल होनी चाहिए, क्योंकि इससे अधिवक्ताओं को अदालतों को गुमराह करने से रोका जा सकेगा और न्यायिक पारदर्शिता बढ़ेगी।

उच्च न्यायालय प्रशासन ने जवाब में कहा कि सभी अदालतों में लाइव स्ट्रीमिंग का व्यापक कार्यान्वयन फिलहाल साजो-सामान संबंधी बाधाओं के कारण अव्यवहारिक है और वर्तमान में, यह सुविधा मामला दर मामला आधार पर और केवल दो अदालतों में उपलब्ध है।

न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा कि यह स्पष्ट है कि दिल्ली उच्च न्यायालय लाइव स्ट्रीमिंग की पहल का विस्तार करने से जुड़ी ‘लॉजिस्टिक (साजो-सामान) और ढांचागत चुनौतियों का समाधान करने में सक्रिय रूप से लगा हुआ है’ और पर्याप्त तैयारी के बिना समय से पहले सेवाओं का विस्तार करने से न्यायिक कार्यवाही की गुणवत्ता और सुरक्षा से समझौता हो सकता है।

अदालत ने कहा कि तकनीकी चुनौतियों और संसाधन आवंटन की परवाह किए बिना कठोर समयसीमा लागू करना इस मामले में विवेकपूर्ण नहीं होगा।

अदालत ने कहा, ‘‘यह अदालत अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग शुरू करने में किए गए प्रयासों को स्वीकार करती है, इस तरह के कार्य में शामिल जटिलता और तकनीकी आवश्यकताओं को पहचानती है।’’

न्यायमूर्ति नरूला ने 20 अगस्त को सुनाए गए आदेश में कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि दिल्ली उच्च न्यायालय इस पहल का विस्तार करने से जुड़ी साजो-सामान और ढांचागत चुनौतियों का समाधान करने में सक्रिय रूप से लगा हुआ है। चरणबद्ध कार्यान्वयन और दिल्ली उच्च न्यायालय की समितियों के भीतर चल रहे विचार-विमर्श को देखते हुए, विशिष्ट कार्रवाई या समयसीमा को अनिवार्य करने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप समय से पहले और अनुचित दोनों होगा।’’

अदालत ने कहा कि चूंकि लाइव स्ट्रीमिंग तंत्र की व्यवस्था फिलहाल सीमित दायरे में, मामला दर मामला आधार पर और केवल दो अदालतों में ही चालू है, इसलिए अनुरोध की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसलिये, वर्तमान रिट याचिका को किसी भी लंबित आवेदन के साथ खारिज किया जाता है।

भाषा दिलीप पवनेश

पवनेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)