नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 2016 में फिरौती के लिए अपहरण के एक मामले में गवाहों के मुकरने के कारण तीन लोगों को बरी कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल पाहुजा तत्कालीन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के विभिन्न प्रावधानों के तहत आरोपित आरोपियों के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे।
अदालत ने 16 दिसंबर को दिए एक आदेश में कहा, “अभियोजन पक्ष ने आरोप साबित करने के लिए तीन मुख्य गवाहों की तफ्तीश की, जिनमें से दो पीड़ित और तीसरा शिकायतकर्ता (पीड़ित का पिता) था। मामले की सुनवाई के दौरान तीनों गवाह मुकर गए और इस मामले में हमलावरों के रूप में आरोपी व्यक्तियों की पहचान करने में विफल रहे।”
अदालत ने कहा कि मामले में कॉल रिकॉर्डिंग या कॉल डिटेल रिकॉर्ड जैसे कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं हैं और न ही कोई फोरेंसिक साक्ष्य है, जो उनके अपराध को साबित करते हों।
फैसले के मुताबिक, “अभियोजन पक्ष ने इस मामले में आरोपी व्यक्तियों की भूमिका को जोड़ने या उन्हें जिम्मेदार ठहराने के लिए कोई अन्य सबूत पेश नहीं किया। पीड़ितों सहित सभी मुख्य गवाह आरोपी व्यक्तियों की पहचान करने में विफल रहे इसलिए उनकी पहचान स्थापित नहीं हो पाई।”
अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए राहुल यादव, भरत यादव और इकबाल उर्फ काला को सभी आरोपों से बरी कर दिया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपियों ने शिकायतकर्ता के बेटे और उसके चालक का अक्टूबर 2015 में अपहरण कर लिया था और 60 लाख रुपये की फिरौती मांगी थी। इस मामले में फतेहपुरी बेरी थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
भाषा जितेंद्र नरेश
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