रक्षा हितधारक ऐसे विचार और उत्पाद लेकर आएं जो सशस्त्र बलों की आवश्यकता बन जाएं: राजनाथ सिंह |

रक्षा हितधारक ऐसे विचार और उत्पाद लेकर आएं जो सशस्त्र बलों की आवश्यकता बन जाएं: राजनाथ सिंह

रक्षा हितधारक ऐसे विचार और उत्पाद लेकर आएं जो सशस्त्र बलों की आवश्यकता बन जाएं: राजनाथ सिंह

:   Modified Date:  October 30, 2024 / 12:39 AM IST, Published Date : October 30, 2024/12:39 am IST

नयी दिल्ली, 29 अक्टूबर (भाषा) रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को रक्षा उद्योग के हितधारकों और नवप्रवर्तकों से नए विचार सामने लाने और उन्हें उत्पादों में बदलने का आह्वान किया, ताकि सशस्त्र बलों को लगे कि वे इन उपकरणों के बिना अधूरे हैं।

नौसेना द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘स्वावलंबन 2024’ में अपने संबोधन में सिंह ने यह भी कहा कि सरकार के ठोस प्रयासों से न केवल आयात निर्भरता कम हुई है और सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र रक्षा में ‘आत्मनिर्भरता’ के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, बल्कि इसके परिणामस्वरूप पूरे देश में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार और आत्मनिर्भरता एक क्रांतिकारी विचार के रूप में उभरी है।

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सिंह का मानना ​​है कि नवाचार और आत्मनिर्भरता का विचार पनपा है और सरकार के प्रयासों से युवाओं में यह चेतना जागृत हुई है।

उन्होंने भारत मंडपम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान आईडेक्स (एडीआईटीआई 3.0) चुनौती के साथ अभिनव प्रौद्योगिकियों के विकास के तीसरे संस्करण और डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज (डीआईएससी 13)के 13वें संस्करण का अनावरण किया। इन चुनौतियों का उद्देश्य स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों और परिचालन दक्षताओं को आगे बढ़ाना है।

सिंह ने सशस्त्र बलों द्वारा दिए गए चुनौतियों के लिए उनके नवोन्मेषी समाधानों के लिए विजेताओं को बधाई दी और उनके प्रयासों को असाधारण बताया।

सिंह ने कहा, ‘अब आपको ऐसे विचार लाने हैं जो हमारी आवश्यकता बन जाएं। सेनाओं को यह महसूस होना चाहिए कि वे आपके द्वारा विकसित किए गए इस उपकरण के बिना अधूरे हैं।’

उन्होंने कहा, ‘‘एक समय था जब हम हथियारों और उपकरणों के लिए आयात पर इतने निर्भर हो गए थे कि नए विचार कभी जन्म नहीं ले पाते थे। अगर विचार आते भी थे तो उन्हें क्रियान्वित करने की कोई व्यवस्था नहीं थी।’’

सिंह ने कहा, ‘‘यह हमारे प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता का परिणाम है कि पिछले कुछ वर्षों में स्थिति में तेजी से सुधार हुआ है। आज हम तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहे हैं।’’

भाषा योगेश नेत्रपाल

नेत्रपाल

 

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