मानहानि मामला: न्यायालय ने आतिशी और केजरीवाल की याचिका पर भाजपा नेता को छह सप्ताह का समय दिया |

मानहानि मामला: न्यायालय ने आतिशी और केजरीवाल की याचिका पर भाजपा नेता को छह सप्ताह का समय दिया

मानहानि मामला: न्यायालय ने आतिशी और केजरीवाल की याचिका पर भाजपा नेता को छह सप्ताह का समय दिया

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Modified Date: January 21, 2025 / 06:20 PM IST
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Published Date: January 21, 2025 6:20 pm IST

नयी दिल्ली, 21 जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और आम आदमी पार्टी (आप) प्रमुख अरविंद केजरीवाल की उस याचिका पर जवाब देने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई के एक नेता को छह सप्ताह का समय दिया जिसमें इन दोनों के खिलाफ दायर मानहानि के मामले को रद्द करने से इनकार करने वाले आदेश को चुनौती दी गई है।

आतिशी और केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का यह मामला मतदाताओं के नाम हटाने से जुड़ी उनकी कथित टिप्पणी को लेकर दर्ज किया गया है।

न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एस.वी.एन भट्टी की पीठ ने शिकायतकर्ता राजीव बब्बर के वकील द्वारा अपना जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांगने के बाद सुनवाई स्थगित कर दी।

पिछले साल 30 सितंबर को शीर्ष अदालत ने बब्बर को नोटिस जारी करते हुए अधीनस्थ न्यायालय के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।

अपने दावे के समर्थन में 16 जनवरी, 2019 के अधिकृत करने वाले पत्र को रिकॉर्ड में लाते हुए बब्बर ने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत क्षमता में नहीं बल्कि एक राजनीतिक दल भाजपा के अधिकृत प्रतिनिधि के रूप में शिकायत दर्ज करायी है।

इससे पहले, बब्बर का प्रतिनिधित्व करने वाली वरिष्ठ वकील सोनिया माथुर ने कहा था कि कथित बयान प्रकृति में अपमानजनक थे क्योंकि उनसे मतदाताओं के बीच पार्टी की विश्वसनीयता कम हुई।

दूसरी ओर, आतिशी और केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि शिकायत में बब्बर ने कहीं भी यह नहीं बताया कि दूसरों के आकलन में उनकी प्रतिष्ठा कैसे कम हो गई।

सिंघवी ने तर्क दिया कि विचाराधीन बयान संसदीय चुनावों से कुछ महीने पहले दिए गए थे और इन्हें चुनाव लड़ रहे संबंधित राजनीतिक दलों द्वारा दिए गए राजनीतिक बयान के हिस्से के रूप में लिया जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि कानूनी सवाल यह है कि क्या शिकायतकर्ता या राजनीतिक दल को आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 199 के तहत ‘पीड़ित व्यक्तियों’ की परिभाषा के तहत कवर किया जाएगा क्योंकि इसके लिए जांच की आवश्यकता होगी।

हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा कि आरोप प्रथम दृष्टया ‘अपमानजनक’ थे, जिसका उद्देश्य भाजपा को बदनाम करना और अनुचित राजनीतिक लाभ प्राप्त करना था।

इसके बाद उच्च न्यायालय ने निचली अदालत में लंबित मानहानि की कार्यवाही के खिलाफ आतिशी, केजरीवाल, राज्यसभा के पूर्व सदस्य सुशील कुमार गुप्ता और आप नेता मनोज कुमार की याचिका खारिज कर दी।

उच्च न्यायालय ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 499 (मानहानि) और 500 (मानहानि की सजा) के तहत अपराधों के लिए अधीनस्थ अदालत की ओर से जारी समन आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।

आप नेताओं ने तब सत्र अदालत के उस आदेश को चुनौती दी जिसमें बब्बर की शिकायत पर उन्हें आरोपी के रूप में तलब करने के मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले को बरकरार रखा गया था।

आप नेताओं ने मजिस्ट्रेट अदालत के 15 मार्च, 2019 और सत्र अदालत के 28 जनवरी, 2020 के आदेशों को रद्द करने का अनुरोध किया है।

भाषा संतोष नरेश

नरेश

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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