कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों में मौत, गंभीर बीमारी का ज्यादा खतरा, विशेषज्ञों का दावा | Death, high risk of serious illness among people cured by Covid-19: Study

कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों में मौत, गंभीर बीमारी का ज्यादा खतरा, विशेषज्ञों का दावा

कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों में मौत, गंभीर बीमारी का ज्यादा खतरा, विशेषज्ञों का दावा

:   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:31 PM IST, Published Date : April 23, 2021/11:19 am IST

नई दिल्ली, 23 अप्रैल (भाषा) कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों में वायरस का पता चलने के बाद के छह महीनों में मौत का जोखिम ज्यादा रहता है। इनमें वह लोग भी हो सकते हैं जिन्हें कोराना से संक्रमित होने के बाद भर्ती करने की जरूरत न पड़ी हो। यह जानकारी कोविड-19 के बारे में अब तक के सबसे व्यापक अध्ययन में सामने आई है। नेचर पत्रिका में बृहस्पतिवार को प्रकाशित शोध में अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि यह सामने आया कि आने वाले सालों में दुनिया की आबादी पर इस बीमारी से बड़ा बोझ पड़ने वाला है।

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अमेरिका में वाशिंगटन विश्वविद्याल में स्कूल ऑफ मेडिसिन के अध्ययनकर्ताओं ने ने कोविड-19 से संबद्ध विभिन्न बीमारियों की एक सूची भी उपलब्ध कराई है जिससे महामीर के कारण लंबे समय में होने वाले परेशानियों की एक बड़ी तस्वीर भी उभरती है। उन्होंने पुष्टि की कि शुरू में महज सांस के रोग से जुड़े एक विषाणु के तौर पर सामने आने के बावजूद दीर्घकाल में कोविड-19 शरीर के लगभग हर अंग-तंत्र को प्रभावित कर सकता है।

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इस अध्ययन में करीब 87000 कोविड-19 मरीज और करीब 50 लाख अन्य मरीजों को शामिल किया गया जो इससे उबर चुके थे। अध्ययन के वरिष्ठ लेखक और मेडिसिन के सहायक प्रोफेसर जियाद अल-अली कहते हैं, “हमारे अध्ययन में यह सामने आया कि रोग का पता लगने के छह महीने बाद भी कोविड-19 के मामूली मामलों में मौत का जोखिम कम नहीं है और बीमारी की गंभीरता के साथ ही बढ़ता जाता है।”

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अल-अली कहते हैं, “चिकित्सकों को उन मरीजों की जांच करते हुए निश्चित रूप से सजग रहना चाहिए जो कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हों। इन मरीजों को एकीकृत, बहुविषयक देखभाल की जरूरत होगी।” शोधकर्ताओं ने मरीजों से बातचीत के आधार पर पहली नजर में सामने आए मामलों और लघु अध्ययनों से मिले संकेतों की गणना की जिनमें कोविड-19 से ठीक हुए मरीजों में इसके विभिन्न दुष्प्रभाव सामने आए।

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उन्होंने कहा कि इन दुष्प्रभावों में सांस की समस्या, अनियमित दिल की धड़कन, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और बालों का गिरना शामिल हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि शुरुआती संक्रमण से ठीक होने के बाद – बीमारी के पहले 30 दिनों के बाद- कोविड-19 से ठीक हुए लोगों में अगले छह महीनों तक आम आबादी के मुकाबले मौत का जोखिम 60 प्रतिशत तक ज्यादा होता है।

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शोधकर्ताओं ने कहा कि छह महीने की सीमा तक, कोविड-19 से ठीक हुए सभी लोगों में प्रति 1000 मरीजों पर अधिक मौत के आठ मामले सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के ऐसे मरीज जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ती है और जो बीमारी के शुरुआती 30 दिनों के बाद ठीक हो जाते हैं, उनमें अगले छह महीनों में प्रति 1000 मरीज मौत के 29 मामले ज्यादा होते हैं।