नयी दिल्ली, 31 दिसंबर (भाषा) पंजाब सरकार ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि एक महीने से अधिक समय से आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल चिकित्सा सहायता लेने के लिए सहमत हैं, बशर्ते कि केंद्र बातचीत का उनका प्रस्ताव स्वीकार कर ले।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अवकाशकालीन पीठ ने पंजाब सरकार की उस याचिका पर संज्ञान लिया, जिसमें उच्चतम न्यायालय के 20 दिसंबर के आदेश के अनुपालन के लिए तीन दिन का और समय देने का अनुरोध किया गया था।
पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह ने कहा, ‘‘…वार्ताकारों के अनुसार किसानों द्वारा केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव दिया गया है कि अगर उन्हें बातचीत के लिए निमंत्रण मिलता है, तो डल्लेवाल अपनी इच्छानुसार चिकित्सा सहायता लेने के लिए तैयार हैं।’’
सिंह ने कहा, ‘‘इसलिए, राज्य सरकार कुछ और समय मांग रही है और निर्देशों के अनुपालन की दिशा में सकारात्मक रूप से काम कर रही है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘जहां तक बातचीत या आपकी कानून-व्यवस्था का सवाल है, हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। अगर कुछ ऐसा होता है जो दोनों पक्षों और सभी संबंधित हितधारकों को स्वीकार्य हो, तो हमें भी उतनी ही खुशी होगी। फिलहाल, हम केवल अपने आदेशों के अनुपालन को लेकर चिंतित हैं। अगर आप और समय चाहते हैं, तो हम विशेष परिस्थितियों में आपको कुछ समय देने के लिए तैयार हैं।’’
सिंह ने पीठ की इस बात से सहमति जताई कि इस स्तर पर वार्ता को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए और उन्होंने कुछ समय देने का अनुरोध किया।
केंद्र और हरियाणा सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मुद्दे पर उनके पास कोई निर्देश नहीं हैं।
महाधिवक्ता (एजी) ने कहा कि पक्षकारों और वार्ताकारों ने किसानों से बातचीत करके अदालत के निर्देशों का पालन करने की कोशिश की थी। इसके अलावा, सरकार ने प्रदर्शन स्थल पर 7,000 कर्मियों को तैनात किया। हालांकि 30 दिसंबर को अन्य किसान संगठनों द्वारा पंजाब बंद का आह्वान किया गया, जिससे सरकार के प्रयासों में बाधा उत्पन्न हुई।
पीठ ने दलीलें दर्ज कीं और डल्लेवाल को अस्पताल में स्थानांतरित करने के अपने आदेश के अनुपालन के लिए मामले में सुनवाई दो जनवरी, 2025 तय की।
पीठ ने कहा, ‘‘हम अदालत द्वारा जारी निर्देशों के अनुपालन के लिए कुछ और समय देने के अनुरोध को स्वीकार करने को तैयार हैं।’’
पंजाब के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया गया है कि वे सुनवाई के दौरान डिजिटल माध्यम से व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहें।
इससे पहले 28 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने डल्लेवाल को अस्पताल नहीं भेजने के कारण पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। साथ ही उसने 70 वर्षीय किसान नेता को चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने में बाधा डालने के लिए प्रदर्शनकारी किसानों की मंशा पर भी संदेह जताया था।
पंजाब सरकार ने कहा कि उसे प्रदर्शनकारी किसानों से भारी प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, जिन्होंने डल्लेवाल को घेर लिया और उन्हें अस्पताल ले जाने से रोक दिया।
शीर्ष अदालत ने पंजाब सरकार पर स्थिति को बिगड़ने देने तथा स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने का आरोप लगाया।
उच्चतम न्यायालय ने टिप्पणी की कि जिन किसान नेताओं ने डल्लेवाल को अस्पताल नहीं ले जाने दिया, वे आत्महत्या के लिए उकसाने के आपराधिक अपराध में भागीदार होंगे।
सर्वोच्च न्यायालय ने 20 दिसंबर को डल्लेवाल को अस्पताल में भर्ती करने का निर्णय लेने का दायित्व पंजाब सरकार के अधिकारियों और चिकित्सकों पर डाल दिया था।
अदालत ने कहा कि डल्लेवाल को पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी बॉर्डर पर प्रदर्शन स्थल से 700 मीटर के दायरे के भीतर स्थापित अस्थायी अस्पताल में ले जाया जा सकता है।
पीठ ने 19 दिसंबर को नागरिक अधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला का जिक्र किया जिन्होंने एक दशक से अधिक समय से चिकित्सा देखरेख में अपना विरोध जारी रखा था। पीठ ने पंजाब सरकार से कहा कि वह डल्लेवाल को जांच के लिए मनाए। पीठ ने डल्लेवाल की चिकित्सा जांच नहीं कराने के लिए राज्य सरकार की खिंचाई की थी।
केंद्र पर फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित किसानों की मांगों को स्वीकार करने का दबाव बनाने के लिए डल्लेवाल 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर हैं।
सुरक्षा बलों द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों को दिल्ली कूच से रोके जाने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।
भाषा सुरभि रंजन
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