महाकुंभनगर (उप्र), 19 जनवरी (भाषा) महाकुंभ के लिए 10 हजार एकड़ में फैले अस्थायी शहर में एक करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु और संत हर समय रहते हैं और प्रतिदिन करीब 20 लाख लोग पहुंचते हैं, ऐसे में यहां एकीकृत नियंत्रण कमान केंद्र (आईसीसीसी) के जरिए भीड़ प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए कड़ी नजर रखी जा रही है।
चार एकीकृत नियंत्रण कमान केन्द्रों (आईसीसीसी) में 400 से अधिक लोग लाइव फुटेज और डेटा प्रदर्शित करने वाली बड़ी स्क्रीन पर लगातार नजर रखते हैं ताकि भीड़ की स्थिति और तीर्थयात्रियों के आमद के बारे में कर्मियों को सतर्क किया जा सके।
इन दृश्यों का स्रोत 3,000 से अधिक कैमरे, पानी के नीचे लगाये गए ड्रोन और जमीन पर 60,000 से अधिक कर्मियों का दल है।
हर 12 साल में आयोजित होने वाला महाकुंभ प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हुआ और 45 दिनों तक जारी रहेगा। अब तक सात करोड़ से ज़्यादा तीर्थयात्री गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियों के संगम पर डुबकी लगा चुके हैं।
मुख्य आईसीसीसी के अंदर ‘पीटीआई-भाषा’ के संवाददाता ने एक दिन बिताया और इसकी आंतरिक कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी प्राप्त की, जिसमें तीन कोणों – सुरक्षा, भीड़ प्रबंधन और अपराध रोकथाम – से निगरानी करना शामिल है।
आईसीसीसी के प्रभारी एवं पुलिस अधीक्षक अमित कुमार के अनुसार, एकत्रित किया जा रहा डेटा सटीक है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आंकड़ों के बारे में अब अनुमान नहीं लगाया जाए।
कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “दुनिया में पहली बार ऐसा हो रहा है कि भीड़ प्रबंधन के लिए इस पैमाने पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का इस्तेमाल किया जा रहा है। हमने मेला क्षेत्र और शहर में 3,000 से ज़्यादा कैमरे लगाए हैं, जिनमें से 1,800 एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्तता) से लैस हैं। इसमें किसी तरह का अनुमान लगाने की ज़रूरत नहीं है। बड़े पैमाने पर हासिल किया जा रहा डेटा वास्तविक समय पर आधारित है।”
उन्होंने कहा, “जब भी किसी खास जगह पर भीड़ की स्थिति एक सीमा से अधिक हो जाती है, तो स्क्रीन पर अलर्ट दिखाई देता है और सूचना ‘वायरलेस ग्रिड’ को भेजी जाती है। इसके बाद, मौजूद टीमें तुरंत कार्रवाई करती हैं और लोगों को इधर-उधर भेजकर भीड़ को कम करती है।”
कुमार ने कहा, ‘जब भी अवरोधक टूटता है या सभी दिशाओं से यातायात एक साथ आने से जाम लगता है या यहां तक कि आग भी लगती है, तो अलर्ट जारी हो जाता है।”
कमान केंद्र में पर्यवेक्षक के रूप में तैनात एक पुलिसकर्मी ने बताया कि वह लाइव फीड पर लगातार नजर रखने के लिए 10-10 घंटे की पाली में काम करते हैं, जबकि एक कॉल सेंटर तीर्थयात्रियों की शिकायतों और सूचनाओं पर ध्यान देता है।
उन्होंने कहा, ‘कॉल सेंटर को पुलिस हेल्पलाइन, महिला हेल्पलाइन, अग्निशमन और एम्बुलेंस सेवाओं के साथ एकीकृत किया गया है।’
महाकुंभ में चार आईसीसीसी कार्यरत हैं। सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 60,000 से अधिक पुलिसकर्मी और 56 पुलिस थाने हैं।
महाकुंभ नगर के अतिरिक्त जिलाधिकारी (एडीएम) विवेक चतुर्वेदी ने कहा कि प्रशासन तीर्थयात्रियों के आगमन के आंकड़ों की पुष्टि के लिए रेलवे और सड़क मार्ग के साथ नियमित संपर्क बनाए हुए है।
उन्होंने कहा, “मेले में 17 प्रवेश स्थान हैं, इसलिए यहां आने वाले लोगों की संख्या और निकास द्वार पर लगातार निगरानी की जाती है। इसका उद्देश्य सिर्फ सटीक संख्या प्राप्त करना ही नहीं है, बल्कि भीड़ का पूर्वानुमान लगाने और आकस्मिक योजना बनाने के लिए डेटा विश्लेषण का उपयोग करना भी है।”
वर्ष 1954 में, कुंभ में 400 से ज़्यादा लोगों की मौत कुचले जाने से या डूबने से हुई थी, जो दुनिया में भीड़-संबंधी सबसे भीषण घटना में से एक थी।
प्रयागराज में पिछली बार 2013 में आयोजित महाकुंभ मेले में कम से कम 36 लोगों की मौत हुई थी।
भाषा नोमान सुभाष
सुभाष
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)