कोविड के दौरान सरकारी स्कूलों में नामांकन में हुई वृद्धि उलट गई, लिखने-पढ़ने की हानि से उबरे:रिपोर्ट |

कोविड के दौरान सरकारी स्कूलों में नामांकन में हुई वृद्धि उलट गई, लिखने-पढ़ने की हानि से उबरे:रिपोर्ट

कोविड के दौरान सरकारी स्कूलों में नामांकन में हुई वृद्धि उलट गई, लिखने-पढ़ने की हानि से उबरे:रिपोर्ट

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Modified Date: January 28, 2025 / 04:59 PM IST
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Published Date: January 28, 2025 4:59 pm IST

नयी दिल्ली, 28 जनवरी (भाषा) कोविड-19 महामारी के दौरान सरकारी स्कूलों में नामांकन में देखी गई वृद्धि की स्थिति अब उलट गई है, सरकारी स्कूलों में नामांकित 6-14 वर्ष की आयु के बच्चों का अनुपात लगभग 2018 के स्तर पर वापस आ गया है। मंगलवार को जारी वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर) की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विद्यार्थी महामारी की वजह से लिखने-पढ़ने व सीखने की क्षमता को हुई हानि से न सिर्फ पूरी तरह उबर चुके हैं, बल्कि कुछ मामलों में प्राथमिक कक्षाओं में सीखने का स्तर पहले के स्तर से भी अधिक है।

रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि 14-16 साल के आयु वर्ग के 82 प्रतिशत से अधिक बच्चे स्मार्टफोन का उपयोग करना जानते हैं, केवल 57 प्रतिशत ही शैक्षिक उद्देश्य के लिए इसका उपयोग करते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया, “कोविड-19 के दौरान सरकारी स्कूलों में नामांकन में जो वृद्धि देखी गई थी, वह उलट गई है। ग्रामीण भारत में 2006 से निजी स्कूलों में नामांकन लगातार बढ़ रहा है। निजी स्कूलों में नामांकित 6-14 वर्ष के बच्चों का अनुपात 2006 में 18.7 प्रतिशत से बढ़कर 2014 में 30.8 प्रतिशत हो गया और 2018 में उसी स्तर पर बना रहा।”

इसमें कहा गया, “महामारी के वर्षों के दौरान, सरकारी स्कूलों में नामांकन में बड़ा उछाल आया और सरकारी स्कूलों में नामांकित 6-14 वर्ष के बच्चों का अनुपात 2018 में 65.6 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 72.9 प्रतिशत हो गया। 2024 में यह संख्या 66.8 प्रतिशत पर वापस आ गयी। सभी कक्षाओं और छात्र-छात्राओं के लिहाज से यह पूर्ण उलटफेर के साथ लगभग 2018 के स्तर पर वापस आ गया है। यह विशेष रूप से आश्चर्यजनक नहीं है क्योंकि अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में भी सुधार हुआ है।”

वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (एएसईआर) 2024 एक राष्ट्रव्यापी ग्रामीण घरेलू सर्वेक्षण है, जो भारत के 605 ग्रामीण जिलों के 17,997 गांवों के 6,49,491 बच्चों के बीच किया गया। सर्वेक्षण किये गये प्रत्येक जिले में एक गैर सरकारी संगठन “प्रथम” की सहायता से एक स्थानीय संगठन या संस्था द्वारा सर्वेक्षण किया गया।

कुछ राज्यों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है और महामारी से पहले के अपने सीखने के स्तर को पार कर लिया है, जबकि अन्य अब भी पूरी तरह से उबर नहीं पाए हैं। फिर भी, लगभग सभी राज्यों ने 2022 की तुलना में सुधार दिखाया है।

रिपोर्ट में कहा गया “वास्तव में, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे कम प्रदर्शन करने वाले राज्यों ने उल्लेखनीय सुधार किया है।”

पहली बार, राष्ट्रव्यापी घरेलू सर्वेक्षण में डिजिटल साक्षरता पर एक अनुभाग शामिल था, जो 14-16 साल के आयु वर्ग के बड़े बच्चों पर लागू था। इसमें स्मार्टफोन की पहुंच, स्वामित्व और उपयोग पर स्वयं से पूछे गए प्रश्नों के साथ-साथ कुछ बुनियादी डिजिटल कौशल का व्यक्तिगत मूल्यांकन भी शामिल था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि “14-16 साल के आयु वर्ग के 82.2 प्रतिशत बच्चों ने बताया कि वे स्मार्टफोन का उपयोग करना जानते हैं। इनमें से 57 प्रतिशत ने बताया कि उन्होंने पिछले सप्ताह शैक्षणिक गतिविधि के लिए इसका उपयोग किया था, जबकि 76 प्रतिशत ने बताया कि उन्होंने इसी अवधि के दौरान सोशल मीडिया के लिए इसका उपयोग किया था।”

रिपोर्ट में पाया गया कि पहली कक्षा में पांच वर्ष या उससे कम आयु के बच्चों का अनुपात समय के साथ घट रहा है।

इसमें कहा गया है, “2018 में यह आंकड़ा 25.6 प्रतिशत था, 2022 में यह 22.7 प्रतिशत था और 2024 में राष्ट्रीय स्तर पर कक्षा-एक में कम उम्र के बच्चों का प्रतिशत अब तक के सबसे निचले स्तर 16.7 पर पहुंच गया।”

भाषा प्रशांत मनीषा

मनीषा

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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)