नयी दिल्ली, 15 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2015 में जेल वैन में ले जाते समय दो कैदियों की हत्या से जुड़े मामले में गैंगस्टर नीरज बवानिया को जमानत देने से बुधवार को इनकार कर दिया।
गैंगस्टर की जमानत याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति अनूप जे भंभानी ने कहा कि यह वारदात “असाधारण निर्लज्जता, दुस्साहस और दुष्टता’ की मिसाल है, क्योंकि इसे छोटी और कड़ी सुरक्षा वाली जेल वैन में अंजाम दिया गया।
अदालत ने फैसले में कहा, “जेल वैन में मौजूद सशस्त्र सुरक्षाकर्मी किन्हीं कारणों से हत्याओं को रोकने में नाकाम रहे। ये कारण न केवल सशस्त्र पुलिस कर्मियों के सामने अंजाम दिए गए दोहरे हत्याकांड की भयावहता को, बल्कि अपराधियों की निर्लज्जता व क्रूरता को भी दर्शाते हैं।”
न्यायाधीश ने मुकदमे में देरी की बवानिया की दलील को खारिज कर दिया और कहा कि संविधान का अनुच्छेद 21 आपराधिक पृष्ठभूमि और अपराध की प्रकृति से परे जमानत मांगने का “जरिया” नहीं है।
हालांकि, उच्च न्यायालय ने निचली अदालत से इस मामले में बिना किसी देरी के सुनवाई समाप्त करने को कहा।
अभियोजन पक्ष का आरोप है कि 2015 में रोहिणी अदालत के हवालात से तिहाड़ जेल तक जेल वैन में यात्रा करते समय, बवानिया ने दोनों कैदियों पर हमला करके उन्हें वाहन के फर्श पर गिरा दिया और फिर ‘गमछे’ से उनका गला घोंट दिया, जिसके बाद उनकी मौत हो गई।
भाषा जोहेब पारुल
पारुल
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