कोच्चि, 21 नवंबर (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने राज्य के मत्स्य पालन मंत्री साजी चेरियन को झटका देते हुये जुलाई 2022 में एक कार्यक्रम में संबोधन के दौरान संविधान का ‘‘अपमान’’ करने के आरोपों के मामले में बृहस्पतिवार को उनके खिलाफ जांच जारी रखने का आदेश दिया है।
उच्च न्यायालय ने पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को भी खारिज कर दिया, जिसमें मंत्री को क्लीन चिट दी गई थी। साथ ही उच्च न्यायालय ने मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश को भी खारिज कर दिया जिसमें पुलिस की अंतिम रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया था।
इसने कहा कि शुरुआती जांच में कमियां पाई गईं। साथ ही उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि पुलिस की अपराध शाखा से आगे की जांच कराई जाए।
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि शुरुआती जांच जल्दबाजी में पूरी की गई।
अदालत का यह आदेश केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा मामले में जांच जारी रखने के अनुरोध वाली याचिका पर आया है।
फैसले के बाद, मंत्री ने कहा कि चूंकि मामला उनसे जुड़ा है, इसलिए न्याय के तहत उच्च न्यायालय को उनकी भी बात सुननी चाहिए थी।
उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि उच्च न्यायालय ने मेरा पक्ष नहीं सुना, इसलिए मैं उसके आदेश को पढ़ने के बाद ही आगे कदम उठाऊंगा।’’
चेरियन ने यह भी दावा किया कि उच्च न्यायालय ने केवल पुलिस द्वारा की गई जांच के बारे में टिप्पणी की न कि उनके द्वारा की गई कथित टिप्पणियों पर।
उन्होंने कहा, ‘‘इसने (अदालत ने) जांच जारी रखने के आदेश दिए हैं। इसे (जांच को) होने दीजिए। इसमें चिंता की कोई बात नहीं है।’’
मंत्री ने यह भी कहा कि यहां नैतिकता या सिद्धांतों का कोई सवाल नहीं था जिसके कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़े, क्योंकि मामले की जांच पुलिस द्वारा की गई, अंतिम रिपोर्ट दी गई और मजिस्ट्रेट अदालत ने उसे स्वीकार किया।
उन्होंने कहा, ‘‘अब उच्च न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया है। इसके ऊपर एक अदालत है। हमारे पास अपील का अधिकार है।’’
दूसरी ओर, कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने उच्च न्यायालय के फैसले को लेकर चेरियन से मंत्री पद से इस्तीफा देने की मांग की।
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन ने कहा कि चेरियन ने मंत्री के रूप में अपने पद का उपयोग करके मामले की जांच को प्रभावित किया और इसलिए, उन्हें या तो इस्तीफा दे देना चाहिए या मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को उन्हें पद से हटा देना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें (चेरियन) कभी भी कैबिनेट में वापस शामिल नहीं किया जाना चाहिए था। मुख्यमंत्री का यह फैसला गलत था। उच्च न्यायालय के फैसले से संकेत मिलता है कि उन्हें बहाल करने का फैसला गलत था।’’
उन्होंने दावा किया कि न्यायालय ने कहा है कि जांच निष्पक्ष अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए।
सतीसन ने कहा, ‘‘लेकिन अगर वह अभी भी मंत्री हैं तो एक ईमानदार और निष्पक्ष जांच कैसे की जा सकती है? स्थिति पहले की तुलना में बदतर है।’’
चेरियन के भाषण ने राज्य में राजनीतिक तूफान ला दिया था और विपक्ष ने चेरियन के इस्तीफे या उन्हें बर्खास्त किए जाने की मांग की थी जिसके चलते आखिरकार छह जुलाई 2022 को उन्हें कैबिनेट पदों से इस्तीफा देना पड़ा। बाद में उन्हें कैबिनेट में फिर से शामिल कर लिया गया।
भाषा खारी रंजन
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