Convicted Politicians cannot contest elections for life

Convicted Politicians: अब 6 साल नहीं… बल्कि आजीवन चुनाव नहीं लड़ पाएंगे ये राजनेता, SC में जारी हुई रिपोर्ट, जानें क्या है पूरा मामला…

Convicted Politicians cannot contest elections for life दोषी नेताओं को सिर्फ़ 6 साल के लिए नहीं बल्कि आजीवन चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित..

Edited By :   Modified Date:  September 15, 2023 / 11:59 AM IST, Published Date : September 15, 2023/11:59 am IST

Convicted Politicians cannot contest elections for life: नई दिल्ली। आपराधिक मामलों में सज़ा पाने वाले नेताओं को उम्र भर चुनाव लड़ने से वंचित होना पड़ सकता है। राजनीति में अपराधिकरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर एमिकस क्यूरी (सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त सहायक वकील) ने इस मामले में SC को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त एमिकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट में दोषी करार दिए गए राजनेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाए जाने की सिफारिश की है। एमिकस ने इस मामले को लेकर याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की मांग का समर्थन किया है।

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दोषी नेताओं पर आजीवन प्रतिबंध की सिफारिश

एमिकस की रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के विभिन्न HC की ओर उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2022 तक देश भर में जनप्रतिनिधियों के खिलाफ 5175 मामले लंबित हैं। इनमें से लगभग 40 फीसदी मामले यानि 2116 केस पिछले पांच साल से ज्यादा पुराने हैं। नवंबर 2022 तक के आकंड़ों के मुताबिक जनप्रतिनिधियों के खिलाफ सबसे ज्यादा केस (1377 केस) यूपी में लंबित है। इसके बाद नंबर बिहार का है, जहां 546 केस लम्बित है।

एमिकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 के तहत अपराध को गंभीरता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है, लेकिन सभी मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद अयोग्यता सिर्फ सजा पूरी करने के बाद छह वर्ष की अवधि के लिए ही है।

अपनी एमिकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट में उदाहरण देते हुए बताया है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 और लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद सरकारी अधिकारी स्थायी तौर पर अयोग्य हो जाते हैं।

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याचिकाकर्ता ने रिपोर्ट का किया समर्थन

Convicted Politicians cannot contest elections for life: इस मामले में याचिकाकर्ता एडवोकेट अश्वनी उपाध्याय ने रिपब्लिक भारत से बात करते हुए एमाइकस की रिपोर्ट का स्वागत करते हुए कहा कि जब एक आम आदमी सजा काटने के बाद आजीवन किसी सरकारी नौकरी का हकदार नहीं बन सकता तो राजनेता कैसे 6 साल बाद देश के कानून बनाने वाली संस्था (संसद) के सदस्य बन सकते हैं।

फिलहाल जनप्रतिनिधत्व अधिनियम के मुताबिक सजा की अवधि पूरी हो जाने के बाद राजनेताओं को अगले 6 साल तक ही चुनाव लड़ने पर रोक है। लेकिन अपनी रिपोर्ट में एमिकस क्यूरी ने कहा है कि चुनाव लड़ने की अयोग्यता को इतने कम समय तक सीमित करना समानता के अधिकार का हनन है, ऐसे राजनेताओं पर चुनाव लड़ने आजीवन प्रतिबंध लगाना चाहिए।

 

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