चेन्नई, 23 अक्टूबर (भाषा) एक उपभोक्ता को 50 पैसे न लौटाना भारतीय डाक विभाग को महंगा पड़ गया है। उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने डाक विभाग को यह पैसा वापस करने और साथ ही मानसिक पीड़ा, अनुचित व्यवहार और सेवा में कमी के लिए उन्हें 10 हजार रुपये का मुआवजा भी देने का निर्देश दिया है।
इसके अलावा कांचीपुरम जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने डाक विभाग (डीओपी) को मुकदमे के खर्च के लिए शिकायतकर्ता को पांच हजार रुपये का भुगतान करने को भी कहा है।
शिकायतकर्ता ए. मनशा के अनुसार उन्होंने 13 दिसंबर, 2023 को यहां के निकट पोझिचालुर डाकघर में एक पंजीकृत पत्र के लिए 30 रुपये की नकदी का भुगतान किया लेकिन रसीद पर केवल 29.50 रुपये दिखाये गये।
शिकायतकर्ता ने कहा कि हालांकि उन्होंने यूपीआई के माध्यम से सटीक राशि भेजने की पेशकश की लेकिन कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण डाक कर्मियों ने इसे अस्वीकार कर दिया।
शिकायत में उन्होंने कहा कि प्रतिदिन लाखों रूपये का लेनदेन होता है और उनका सही हिसाब नहीं रखने से सरकार को नुकसान भी होता है। उन्होंने इसे अवैध करार दिया जिससे उन्हें ‘गंभीर मानसिक पीड़ा’ हुई।
विभाग ने आयोग के समक्ष कहा कि तकनीकी समस्याओं के कारण उस समय उपभोक्ता से डिजिटल माध्यम से भुगतान स्वीकार नहीं किया जा सका और इसलिए उनसे नकद राशि ली गई।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद उपभोक्ता आयोग ने कहा कि सॉफ्टवेयर संबंधी समस्या के कारण डाकघर द्वारा 50 पैसे अधिक वसूलना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत अनुचित है।
जिला उपभोक्ता आयोग ने डीओपी को शिकायतकर्ता को 50 पैसे वापस करने और साथ ही मानसिक पीड़ा, अनुचित व्यवहार और सेवा में कमी के लिए मुआवजे के रूप में 10 हजार रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।
इसके अलावा, कांचीपुरम जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने डाक विभाग (डीओपी) को मुकदमे की लागत के लिए 5,000 रुपये का भुगतान करने को कहा है।
शिकायतकर्ता ने डीओपी को उसके 50 पैसे लौटाने, ‘मानसिक पीड़ा’ के लिए 2.50 लाख रुपये का मुआवजा और मुकदमे की लागत के लिए 10,000 रुपये देने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
भाषा देवेन्द्र
नरेश
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