कांग्रेस का शिवराज चौहान पर कटाक्ष : उबाऊ हो चुका है विफलताओं के लिए नेहरू को दोषी ठहराना |

कांग्रेस का शिवराज चौहान पर कटाक्ष : उबाऊ हो चुका है विफलताओं के लिए नेहरू को दोषी ठहराना

कांग्रेस का शिवराज चौहान पर कटाक्ष : उबाऊ हो चुका है विफलताओं के लिए नेहरू को दोषी ठहराना

:   Modified Date:  August 3, 2024 / 09:29 PM IST, Published Date : August 3, 2024/9:29 pm IST

नयी दिल्ली, तीन अगस्त (भाषा) कांग्रेस ने कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा उस पर हमला किए जाने के एक बाद शनिवार को पलटवार किया और कटाक्ष करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार की विफलताओं के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को दोषी ठहराना अब उबाऊ हो गया है।

पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि कांग्रेस की सरकारों में कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक विकास हुआ।

चौहान ने कांग्रेस के ‘डीएनए में किसान विरोध होने’ का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को कहा था कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से नरेन्द्र मोदी सरकार ने कृषि के क्षेत्र में प्राथमिकताओं को बदला जिसके अच्छे परिणाम आज देखने को मिल रहे हैं।

राज्यसभा में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने अपने मंत्रालय के कामकाज पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा था कि वह देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का आदर करते हैं किंतु उन्होंने (नेहरू ने) पारंपरिक भारतीय कृषि की परवाह नहीं की। उन्होंने कहा था कि नेहरू रूस गये, वहां का मॉडल देखा और कहा कि इसे यहां लागू करो।

खेड़ा ने चौहान पर पलटवार करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘प्रिय शिवराज सिंह चौहान, अंशकालिक कृषि मंत्री और पूर्णकालिक संघ प्रचारक, मुझे आपको पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी और कांग्रेस/संप्रग सरकारों के दौरान अन्य प्रधानमंत्रियों के तहत कृषि क्षेत्र में देखे गए ऐतिहासिक विकास की याद दिलानी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हरित क्रांति ने गेहूं का उत्पादन 1965 में 1.2 करोड़ टन से बढ़ाकर 1970 तक दो टन कर दिया। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) और अन्य संस्थानों की स्थापना की गई, जिससे नई कृषि प्रौद्योगिकियों का विकास हुआ। भाखड़ा नांगल और हीराकुंड बांध जैसी प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं ने सिंचित भूमि को 1951 में 2.2 करोड़ हेक्टेयर से बढ़ाकर 1965 तक 3.8 करोड़ हेक्टेयर कर दिया।’’

खेड़ा के अनुसार, नरसिम्ह राव के नेतृत्व वाली सरकार में कृषि निर्यात में वृद्धि हुई, कुल निर्यात में कृषि की हिस्सेदारी 1990 में 10 प्रतिशत से बढ़कर 1996 तक 20 हो गई।

उन्होंने कहा, ‘‘2007 में शुरू किए गए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) ने चावल, गेहूं और दाल का उत्पादन 2007 में 21.8 करोड़ टन से बढ़ाकर 2014 में 26.5 करोड़ टन कर दिया।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘मोदी सरकार में 750 से अधिक किसान अपने अधिकारों के लिए लड़ते हुए जान चली गई, जबकि सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया। जीएसटी ने ट्रैक्टरों (12 प्रतिशत), टायरों (18 प्रतिशत), और उर्वरकों (पांच प्रतिशत) पर करों के साथ कृषि लागत में वृद्धि की। भाजपा के शासनकाल में एमएसपी में वृद्धि यूपीए के समय की तुलना में बहुत कम रही है, जो मुद्रास्फीति के अनुरूप नहीं है।’’

खेड़ा ने कहा, ‘‘2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा पूरा नहीं हुआ, 2015-16 से 2018-19 तक वास्तविक आय केवल 2.8 प्रतिशत सालाना बढ़ी। 2013 के बाद से किसानों का कर्ज 58% बढ़ गया है, जिससे आत्महत्या की दर बढ़ गई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सच कहूं तो अपनी सभी विफलताओं के लिए नेहरू को दोषी ठहराना अब थोड़ा उबाऊ हो गया है। कुछ बेहतर करिये।’’

भाषा हक हक रंजन

रंजन

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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