नयी दिल्ली, 12 दिसंबर (भाषा) कांग्रेस ने ‘एक देश, एक चुनाव’ व्यवस्था लागू करने संबंधी विधेयक को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी दिये जाने के बाद बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि सरकार चुनावी शुचिता पर उठ रहे सवालों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।
मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि इस विधेयक को पेश किए जाने के बाद इसे संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा जाना चाहिए।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को ‘एक देश, एक चुनाव’ को लागू करने संबंधी विधेयकों को मंजूरी दे दी और मसौदा कानून मौजूदा शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किए जाने की संभावना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा लिखे गए पत्र का हवाला देते हुए कहा कि पार्टी के रुख में कुछ बदलाव नहीं हुआ है।
खरगे ने समिति को इस साल 17 जनवरी को पत्र लिखकर ‘एक देश, एक चुनाव’ के विचार का पुरजोर विरोध किया था।
रमेश ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि कांग्रेस चाहती है कि जब विधेयक संसद में पेश किया जाएगा तो इसे संयुक्त समिति के पास भेजा जाए।
लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने बृहस्पतिवार को कहा कि पहले भी उनकी पार्टी ने चुनाव, चुनावी प्रणाली और चुनावी शुचिता से संबंधित कई सवाल उठाए हैं।
गोगोई ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अब इस विधेयक को आने दीजिए, देखते हैं कि वे क्या करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन हमने पहले भी कहा है कि इस विधेयक के माध्यम से हमारे देश के संघीय चरित्र पर प्रभाव को लेकर ‘इंडिया’ गठबंधन के बीच कई चिंताएं हैं।’’
उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी अपनी बात पर कायम नहीं रहे हैं, वह ‘एक देश, एक चुनाव’ की बात (तो) करते हैं, लेकिन जब यह उनके लिए उपयुक्त होता है तो वह हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनाव अलग-अलग कराते हैं। वह गुजरात के चुनाव अलग से करवाते हैं।’’
गोगोई का कहना था कि भारत के लोग बहुत बुद्धिमान हैं और (वे) पूरी चुनावी प्रक्रिया के संबंध में चुनाव आयुक्तों की भूमिका और उनकी नियुक्ति जैसे कई बड़े सवाल उठाए जाने की आवश्यकता समझते हैं।
कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वे केवल उन सवालों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं, जो हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली की चुनावी शुचिता के संबंध में लोगों के मन में उठ रहे हैं।’’
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