कांग्रेस ने सोयाबीन खरीद के मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की |

कांग्रेस ने सोयाबीन खरीद के मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की

कांग्रेस ने सोयाबीन खरीद के मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार की आलोचना की

:   Modified Date:  November 14, 2024 / 04:03 PM IST, Published Date : November 14, 2024/4:03 pm IST

नयी दिल्ली, 14 नवंबर (भाषा) कांग्रेस ने महायुति सरकार की आलोचना करते हुए बृहस्पतिवार को दावा किया कि महाराष्ट्र ने केवल 3,888 मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदा है जबकि तेलंगाना ने लगभग 25,000 मीट्रिक टन सोयाबीन की खरीद की है।

पार्टी ने कहा कि यह उन लोगों के बीच का अंतर है जो ‘‘किसान कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं और जो खुद का घर भरने और सत्ता के लिए प्रतिबद्ध हैं’’।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सोयाबीन के लिए महाराष्ट्र की खरीद अवधि दूसरे राज्यों के मुकाबले सबसे कम है और यह महज 15 दिन में समाप्त हो जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘इस छोटी सी अवधि में, राज्य ने लगभग 3,888 मीट्रिक टन सोयाबीन खरीदा है जबकि स्वीकृत मात्रा 13,08,238 मीट्रिक टन है। यानी कि 0.3 प्रतिशत लक्ष्य ही पूरा हुआ है।’’

रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘पड़ोसी राज्य तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है। इसने इस बीच लगभग 25,000 मीट्रिक टन सोयाबीन की खरीद की है, जो लक्ष्य का 50 प्रतिशत है।’’

कांग्रेस नेता ने महाराष्ट्र की महायुति सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘ यही दोनों पार्टियों के बीच अंतर है। हम किसान कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं और वे सिर्फ अपना खुद का घर भरने और सत्ता का सुख भोगने में लगे हैं।’’

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के किसान स्वामीनाथन आयोग के ‘फॉर्मूले’ के अनुसार एमएसपी तय करने और इसे कानूनी दर्जा दिलाने के लिए कांग्रेस और महा विकास आघाडी (एमवीए) को वोट देंगे‌।

रमेश की यह टिप्पणी कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा यह दावा करने के कुछ दिन बाद आई है कि महाराष्ट्र के सोयाबीन और कपास किसान भाजपा सरकार की ‘‘किसान विरोधी’’ नीतियों के कारण निराश हैं।

उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया था कि राज्य में ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार बनने के बाद उनके मुद्दों का समाधान किया जायेगा।

गांधी ने कहा था कि 2021 में सोयाबीन के दाम 10,000 रुपये तक थे लेकिन अब किसान इसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम पर बेचने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा था कि सोयाबीन का एमएसपी 4,892 रुपये है लेकिन किसानों को इसे लगभग 4,200 रुपये या उससे भी कम दाम पर बेचना पड़ रहा है।

भाषा देवेंद्र रंजन

रंजन

 

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