उत्तरकाशी में सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखा जा रहा है : उत्तराखंड उच्च न्यायालय में राज्य सरकार ने कहा |

उत्तरकाशी में सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखा जा रहा है : उत्तराखंड उच्च न्यायालय में राज्य सरकार ने कहा

उत्तरकाशी में सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखा जा रहा है : उत्तराखंड उच्च न्यायालय में राज्य सरकार ने कहा

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Modified Date: December 17, 2024 / 03:34 PM IST
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Published Date: December 17, 2024 3:34 pm IST

नैनीताल, 17 दिसंबर (भाषा) उत्तरकाशी में एक मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद के बीच राज्य सरकार ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय को बताया है कि शहर में सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखा जा रहा है और इसे बिगाड़ने की किसी भी कोशिश से सख्ती से निपटा जाएगा ।

यह बात मस्जिद की सुरक्षा के लिये गुहार लगाने वाली याचिका पर सोमवार को सुनवाई के दौरान कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ के सामने राज्य सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सरकारी अधिवक्ता जे एस विर्क ने कही ।

उच्च न्यायालय ने पूर्व में उत्तरकाशी के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को मस्जिद के आसपास के क्षेत्र में कानून और व्यवस्था कायम रखने तथा स्थिति से अदालत को अवगत कराते रहने के निर्देश दिए थे।

विवादित मस्जिद उत्तरकाशी शहर में भटवाड़ी मार्ग पर स्थित है।

दक्षिणपंथी संगठनों का कहना है कि मस्जिद अवैध है, जबकि याचिकाकर्ताओं का दावा इसके बिल्कुल उलट है।

दक्षिणपंथी संगठनों की ओर से मस्जिद के विरोध में एक दिसंबर को प्रस्तावित महापंचायत से कुछ दिन पहले नवंबर में याचिकाकर्ता अल्पसंख्यक सेवा समिति ने उच्च न्यायालय का रुख किया था।

पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान जिला प्रशासन ने कहा था कि मस्जिद के आस-पास महापंचायत के लिए अनुमति नहीं दी गयी तथा निषेधात्मक आदेश लागू किए गए थे। जिला प्रशासन ने हालांकि, कुछ शर्तों के साथ लोगों को एकत्रित होने की इजाजत दे दी थी।

शहर में बड़ी तादाद में पुलिस बल की तैनाती के बीच महापंचायत शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गयी थी ।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने दलील दी कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए महापंचायत में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरती भाषण दिए गए।

राज्य सरकार के वकील ने हालांकि दावा किया कि महापंचायत का आयोजन पुलिस की निगरानी में हुआ था और उसमें कोई भड़काऊ भाषण नहीं दिए गए।

इस बीच, याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय से ऐसे दस्तावेज जमा करने के लिए और समय मांगा है, जिससे यह सिद्ध हो सके कि मस्जिद वक्फ या ट्रस्ट की है ।

भाषा दीप्ति

नरेश दिलीप

दिलीप

 

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