Color of Your Nails : नई दिल्ली। कई बार हम रोजाना कुछ ऐसी बातों को नजर अंदाजा कर देते हैं जो हमारे जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जैसे की नाखूनों का रंग। हम अक्सर अपने नाखूनों के रंग को नजर अंदाज कर दते हैं। आगे चलकर ये गंभीर बिमारी का संकेत देते हैं। इसके साथ ही हमे सावधान रहने के लिए सचेत करते हैं।>>*IBC24 News Channel के WhatsApp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां Click करें*<<
नाखूनों का ख्याल रखना ब्यूटी या नेल सलून जाने से कहीं ज्यादा जरूरी बात है। शरीर का ये हिस्सा आपकी सेहत और कई स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत वक़्त से पहले दे देता है। इसलिए नाखूनों के रंग और उसमें आने वाले बदलावों पर ध्यान देना जरूरी है। नाखूनों पर धब्बों का आना या चकते पड़ना या कुछ और होना किसी आने वाली बीमारी की चेतावनी हो सकता है।
अच्छी बात ये है कि नाखून में किसी तरह का बदलाव ज़रूरी नहीं है कि हमेशा कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या ही बतलाए। कभी-कभी ये रूटीन के तौर पर भी होती हैं। त्वचा रोग विशेषज्ञ वलेरिया ज़ानेला फ़्रैंज़न कहती हैं, “पैर के नाखूनों की देखभाल कम की जाती है और कई बार उसमें समस्याएं ज़्यादा होती हैं। उदाहरण के लिए ये पीले पड़ने लगते हैं और मोटे हो जाते हैं।” हम आगे ऐसे कुछ स्थितियों के बारे में बताएंगे जो आने वाली समस्याओं के संकेत देते हैं और जिन पर ध्यान दिया जाना ज़रूरी है।
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अगर किसी को ये लगे कि उसके नाखूनों में कोई असामान्य बदलाव हो रहा है तो सबसे पहले उसे उसके रंग पर गौर करना चाहिए। अगर नाखून का रंग सफ़ेद जैसा लगे तो ये माइकोसिस, सराइअसिस, निमोनिया और यहां तक कि दिल की बीमारी का भी संकेत हो सकता है। पोषक तत्वों की कमी, कम प्रोटीन वाला खाना भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकता है।
त्वचा रोग विशेषज्ञ जूलियाना पिक्वेट कहती हैं, “नाखून फीके पड़ जाएं तो ये अनीमिया (रक्तहीनता) का संकेत हो सकता है। शरीर में आयरन की कमी नाखूनों को चम्मच के आकार जैसा और खोखला बना सकता है।” ल्यूकोनिकिया जैसी भी एक स्थिति होती है जिसमें नाखूनों पर सफेद रंग के चकते पड़ने लगते हैं। लेकिन इसका कोई नुक़सान नहीं होता है और ये शरीर में किसी बदलाव की ओर संकेत नहीं करते हैं। इन स्थितियों का इलाज करने के लिए डॉक्टर आम तौर पर मरीज़ों से समस्या के असली कारण जानने की कोशिश करते हैं।
अगर आपके नाखूनों का रंग सफेद लगने लगा हो तो त्वचा रोग विशेषज्ञ के पास जाएं और वहां अगर कोई मेडिकल टेस्ट कराने के लिए कहा जाए तो ज़रूर कराएं ताकि आगे किसी स्पेशलिस्ट डॉक्टर से ज़रूरत पड़ने पर संपर्क किया जा सके।
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नाखूनों का पीलापन आनुवांशिक भी हो सकता है या फिर बढ़ती उम्र भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती है। इस सूरत में ये मोटे लगने लगते हैं और इनका पीलापन भी महसूस होता है। ऐसा फंगल इन्फेक्शन के कारण भी हो सकता है। साथ ही कुछ गंभीर मामलों में ये सराइअसिस, एचआईवी और किडनी की बीमारी का भा संकेत देता है।
जो लोग अधिक धूम्रपान करते हैं, उनके नाखूनों का रंग भी सिगरेट के सीधे संपर्क में आने के कारण पीला दिखने लगता है। ऐसे मामलों में अंगूठे और तर्जनी की अंगुली में ये पीलापन अधिक महसूस होता है।
स्किन स्पेशलिस्ट डॉक्टर इसे ‘पिटिंग’ भी कहते हैं। नाखूनों पर ये छोटे स्पॉट की तरह लगते हैं, ज़्यादातर एक नाखून पर एक ही होते हैं। ये एटॉपिक डर्मटाइटिस (एक तरह का एग्ज़ीमा), सराइअसिस या अन्य किसी त्वचा रोग या बालों की समस्या से जुड़ा हो सकता है। फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ़ साओ पाउलो में त्वचा रोग विशेषज्ञ जूलियाना टोमा कहती हैं, “अगर नाखूनों पर उभरने वाला सफेद हिस्सा दिखने में साफ़ लगे तो ये एलोपेसिया एरीयाटा (अचानक बाल झड़ना) से जुड़ा हो सकता है। उस हालत में आपको अपने बालों की समस्या का इलाज कराना चाहिए।” कुछ चुनिंदा मामलों में ये सिफलिस नाम के एक यौन संक्रामक रोग का भी संकेत हो सकता है।
हालांकि ये बहुत देखने को मिलता है। नाखूनों का नीला होना किसी ख़ास दवा के इस्तेमाल के कारण हो सकता है। मुंहासों या मलेरिया की दवाओं के इस्तेमाल करने वाले लोगों के नाखूनों में ऐसे मामले देखने को मिलते हैं। जब ऐसा हो तो डॉक्टर को ये देखना चाहिए कि क्या किसी ख़ास दवा को रोकने की ज़रूरत है या फिर कहीं इलाज बदलने की ज़रूरत तो नहीं।
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माइकोसिस फंगल इन्फेक्शन के कारण होता है और इलाज बंद किए जाने की सूरत में ये दोबारा से हो सकता है। अगर इस पर ठीक से नज़र नहीं रखी गई तो ये बार-बार उभर सकता है। पैर के नाखून में ये समस्या अक्सर होती है। डॉक्टरों का कहना है कि इलाज शुरू करने पर इसे छह महीने तक जारी रखा जाना चाहिए।
अगर हाथ में ऐसा हो तो तीन से चार महीने इलाज किया जाना चाहिए। आदर्श रूप में मरीज को समय पर दवा लेनी चाहिए और जब डॉक्टर कहें तभी ज़रूरी एहतियात लेना बंद करना चाहिए। साथ ही ये सलाह भी दी जाती है कि ऐसी जगहों पर जाने से बचा जाना चाहिए जहां ये इन्फेक्शन हो सकता है जैसे टाइट और गर्म जूते, स्वीमिंग पूल और सॉना का इस्तेमाल।
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