मुख्यमंत्री ने नगा नेताओं से मणिपुर के जातीय संकट को सुलझाने में सहयोग करने का आग्रह किया |

मुख्यमंत्री ने नगा नेताओं से मणिपुर के जातीय संकट को सुलझाने में सहयोग करने का आग्रह किया

मुख्यमंत्री ने नगा नेताओं से मणिपुर के जातीय संकट को सुलझाने में सहयोग करने का आग्रह किया

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Modified Date: January 11, 2025 / 06:57 PM IST
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Published Date: January 11, 2025 6:57 pm IST

इंफाल, 11 जनवरी (भाषा) मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने शनिवार को गिरजाघर और नगा समुदाय के नेताओं से राज्य में जारी जातीय संघर्ष को सुलझाने में व्यापक भूमिका निभाने का अनुरोध किया।

मई 2023 से कुकी और मेइती समुदायों के बीच संघर्ष में 250 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। नगा समुदाय इस संघर्ष में शामिल नहीं था।

नगा बहुल सेनापति जिले के मारम में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा, ‘‘मैं नगा समुदायों से अपील करना चाहता हूं कि मौजूदा मुद्दों को सुलझाने और शांति बहाली के लिए तीसरे पक्ष की आवश्यकता है। इसके लिए गिरजाघर और समुदाय के नेताओं को जिम्मेदारी लेने और पहल करने की जरूरत है।’’

उन्होंने कहा कि सभी शिकायतों और समस्याओं का समाधान संविधान और मणिपुर सरकार के कानूनों के तहत किया जा सकता है।

सिंह ने कहा, ‘‘जो कुछ भी हुआ सो हुआ। जैसा कि मैंने नये साल के अपने संदेश में कहा था, अब भूलने और माफ करने का समय है। हमें मिलकर शांति के मार्ग पर चलना होगा और मणिपुर को पहले जैसा बनाना होगा। हमें इस संकट को हल करने के लिए मिलकर काम करना होगा।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस संकट से उबरने के लिए निर्वाचित सदस्यों और पूर्व निर्वाचित सदस्यों समेत आज एकत्र हुए सभी लोगों से समर्थन की अपील करता हूं।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह चौबीसों घंटे उपलब्ध हैं और राज्य में शांति स्थापित करने के लिए सरकार से जो भी मदद की आवश्यकता होगी, मुहैया कराएंगे।

सिंह ने कहा, ‘‘मुझे आपकी मदद चाहिए। किसी को तो आगे आना ही होगा। नब्बे के दशक में कुकी और नगा संघर्ष के दौरान हमने समाधान निकालने की बहुत कोशिश की थी। इसी तरह, मैं अब आपका सहयोग चाहता हूं। मैंने शांति लाने के लिए किए जा रहे ऐसे प्रयासों के बारे में सुना है, लेकिन मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि आप इस पहल को दृढ़ता से लें।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय लोगों की चिंताओं का समाधान किया जाना चाहिए और राज्य की सभी 34 मान्यता प्राप्त जनजातियों को मिलकर रहना चाहिए।

भाषा

देवेंद्र पारुल

पारुल

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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