Lokayukta police will investigate against CM Siddaramaiah

MUDA Scam Case : सीएम सिद्धारमैया की बढ़ी मुश्किलें, कोर्ट ने लोकायुक्त पुलिस को दिए इस मामले में जांच के आदेश

MUDA Scam Case : कर्नाटक की एक विशेष अदालत नेMUDA भूखंड आवंटन मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस से जांच कराने का

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Modified Date: September 25, 2024 / 07:04 PM IST
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Published Date: September 25, 2024 5:03 pm IST

बेंगलुरु : MUDA Scam Case : कर्नाटक की एक विशेष अदालत ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) भूखंड आवंटन मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ बुधवार को लोकायुक्त पुलिस से जांच कराने का आदेश दिया। इसके साथ ही उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का रास्ता साफ हो गया।

विशेष अदालत के न्यायाधीश संतोष गजानन भट्ट के इस आदेश से एक दिन पहले कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस मामले में सिद्धारमैया के खिलाफ जांच कराने की राज्यपाल थावरचंद गहलोत की मंजूरी को बरकरार रखा था। इस मामले में एमयूडीए पर सिद्धारमैया की पत्नी बी एम पार्वती को 14 भूखंड आवंटित करने में अनियमितताएं बरतने का आरोप है।

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कोर्ट ने दिया जांच शुरू करने का निर्देश

MUDA Scam Case : विशेष अदालत ने मैसूरु में लोकायुक्त पुलिस को आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर शिकायत पर जांच शुरू करने का निर्देश दिया है। अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) (जो मजिस्ट्रेट को संज्ञेय अपराध की जांच का आदेश देने का अधिकार प्रदान करती है) के तहत जांच करने के निर्देश जारी किए। अदालत ने पुलिस को 24 दिसंबर तक जांच रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।

उच्च न्यायालय ने सिद्धारमैया की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए के तहत जांच की मंजूरी देने संबंधी राज्यपाल के 16 अगस्त के आदेश की वैधता को चुनौती दी थी।

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मैं जांच के लिए तैयार हूं – सिद्धारमैया

MUDA Scam Case : विशेष अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सिद्धारमैया ने दोहराया कि वह जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने पहले ही कहा है कि मैं जांच का सामना करने के लिए तैयार हूं। मैं जांच से नहीं डरता।’’

मुख्यमंत्री ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं कानूनी लड़ाई के लिए तैयार हूं। मैंने कल भी यही कहा था और आज भी यही कह रहा हूं।’’ गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने कहा कि लोकायुक्त पुलिस एक स्वतंत्र संस्था है। उन्होंने कहा, ‘‘यह किसी की करुणा पर निर्भर नहीं है, वे स्वतंत्र रूप से जांच करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आदेश की प्रति आने के बाद प्रतिक्रिया दूंगा। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने कहा है कि वह किसी भी जांच के लिए तैयार हैं…आदेश आने दीजिए और देखते हैं कि (अदालत के) आदेश में क्या कहा गया है।’’

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जांच में सहयोग करे सिद्धारमैया – भाजपा

MUDA Scam Case : इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एक बार फिर सिद्धारमैया के इस्तीफे की मांग की और उनसे जांच में सहयोग करने को कहा। भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष बी. वाई. विजयेंद्र ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री ने कहा है कि वे किसी भी जांच के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने सवाल उठाया है कि उन्हें इस्तीफा क्यों देना चाहिए। सिद्धरमैया शायद भूल गए हैं कि विपक्ष के नेता के तौर पर उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को क्या उपदेश दिया था। उन्होंने येदियुरप्पा से निष्पक्ष जांच के लिए इस्तीफा देने को कहा था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘न्यायालय ने लोकायुक्त पुलिस को जांच करने के लिए कहा है, लेकिन हम मुख्यमंत्री से आग्रह करते हैं कि इस्तीफा देने से पहले उन्हें स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए मामले को केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का आदेश देना चाहिए।’’

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विपक्षी दल कर रहे इस्तीफे की मांग

MUDA Scam Case : कर्नाटक में विपक्षी दलों भाजपा और जद (एस) ने बुधवार को मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग तेज कर दी तथा उनके आवास ‘‘कावेरी’’ को घेरने का प्रयास किया। भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के सदस्यों ने ‘‘कावेरी’’ की ओर मार्च करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उनका प्रयास विफल कर दिया। पुलिस ऐहतियात के तौर पर उन्हें हिरासत में लेते हुए बस में बैठाकर ले गई। पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा की अध्यक्षता वाले जद (एस) के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने यहां फ्रीडम पार्क में विरोध प्रदर्शन कर ‘कावेरी’ की ओर बढ़ने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया।

शिकायतकर्ता ने किया कोर्ट के फैसले का स्वागत

शिकायतकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने विशेष अदालत के आदेश का स्वागत किया और कहा कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद वह उच्च न्यायालय से मामले को सीबीआई को सौंपने की अपील करेंगे। यह मामला सिद्धारमैया की पत्नी बी. एम. पार्वती को कथित तौर पर मुआवजे के तौर पर मैसूरु के एक पॉश इलाके में जमीन आवंटित किए जाने से जुड़ा है, जिसका संपत्ति मूल्य उनकी उस जमीन की तुलना में अधिक था जिसे एमयूडीए ने ‘‘अधिग्रहीत’’ किया था। एमयूडीए ने पार्वती की 3.16 एकड़ जमीन के बदले में उन्हें 50:50 के अनुपात से भूखंड आवंटित किये थे जहां उसने आवासीय लेआउट विकसित किये थे। इस विवादास्पद योजना के तहत एमयूडीए ने उन लोगों को 50 प्रतिशत विकसित जमीन आवंटित की थी जिनकी अविकसित जमीन आवासीय लेआउट विकसित करने के लिए ली गयी थी। आरोप है कि मैसूरु तालुक के कसाबा होबली के कसारे गांव के सर्वे नंबर 464 में स्थित 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी हक नहीं था।

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