नयी दिल्ली, तीन जनवरी (भाषा) प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश सी टी रविकुमार की शुक्रवार को उनके अंतिम कार्य दिवस पर सराहना करते हुए कहा कि उनका एक साधारण ग्रामीण पृष्ठभूमि से शीर्ष अदालत तक पहुंचने का सफर असाधारण रहा।
केरल उच्च न्यायालय में शानदार कार्यकाल के बाद न्यायमूर्ति रविकुमार को 31 अगस्त, 2021 को शीर्ष अदालत में पदोन्नत किया गया था। वह शीर्ष अदालत में नौवें सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं।
वह रविवार को सेवानिवृत्त होंगे और इस मौके पर आयोजित उनके विदाई समारोह में न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा, ‘‘ग्रामीण पृष्ठभूमि से आकर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सेवा करने का गौरव प्राप्त करना एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। न्यायमूर्ति रविकुमार ने न केवल यह उपलब्धि हासिल की बल्कि अपने कर्तव्यों का बेहतरीन तरीके से निर्वहन भी किया है।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि न्यायमूर्ति रविकुमार ने न्यायपालिका पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा और वह भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बने रहेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने सभी न्यायाधीशों के लिए एक विरासत छोड़ी है। हमें निश्चित रूप से उनकी याद आएगी। हम उन्हें उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हैं।’’
उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति रविकुमार दिल्ली में ही रहेंगे।
इस मौके पर, न्यायमूर्ति रविकुमार ने अपने कार्यकाल के दौरान ‘बार’ से मिले सहयोग के लिए उसका आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं एक अधिवक्ता था और वह अधिवक्ता मुझमें अब भी जीवित है। इसलिए मैं ‘बार’ का हमेशा से बहुत सम्मान करता हूं।’’
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ (एससीबीए) के अध्यक्ष कपिल सिब्बल सहित कानून जगत के कई दिग्गजों ने सेवानिवृत्त न्यायाधीश को उनके सुखद भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं।
केरल के पीरमाडु में छह जनवरी, 1960 को जन्मे न्यायमूर्ति रविकुमार ने मावेलिकरा स्थित बिशप मूरे कॉलेज से प्राणीविज्ञान में स्नातक की डिग्री और कालीकट स्थित ‘गवर्नमेंट लॉ कॉलेज’ से एलएलबी की डिग्री हासिल की।
उन्होंने 12 जुलाई, 1986 को ‘केरल बार काउंसिल’ में एक वकील के रूप में पंजीकरण कराया। उन्होंने मावेलिकरा की अदालतों से वकालत शुरू की और बाद में उन्होंने केरल उच्च न्यायालय में वकालत की।
न्यायमूर्ति रविकुमार को पांच जनवरी, 2009 को केरल उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया और 15 दिसंबर, 2010 को वह स्थायी न्यायाधीश बने। उन्होंने 31 अगस्त, 2021 को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।
भाषा सिम्मी नरेश
नरेश
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