Maoist leader Nirmala Full story in hindi

Maoist leader Nirmala: मौत से ठीक पहले महिला नक्सली लीडर ‘निर्मला’ के आखिरी लम्हों की कहानी.. बैठी थी धरने पर, ग्रामीणों के दावे किसी फ़िल्मी कहानी की तरह

Maoist leader Nirmala Full story in hindi छत्तीसगढ़ मुठभेड़:महिला नक्सली ने आखिरी बैठक में सड़क निर्माण का विरोध किया था

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Modified Date: October 8, 2024 / 08:48 PM IST
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Published Date: October 8, 2024 12:46 pm IST

गवाड़ी: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा-नारायणपुर जिले में हुई मुठभेड़ से दो दिन पहले दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी की महिला सदस्य नीति ने गवाड़ी और आस-पास के गांवों के ग्रामीणों के साथ बैठक कर वहां सड़क निर्माण और पुलिस शिविर का विरोध किया था। (Maoist leader Nirmala Full story in hindi) यह बैठक 45 वर्षीय नीति ऊर्फ उर्मिला की आखिरी बैठक साबित हुई।

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कर रही थी कंपनी की अगुवाई

शुक्रवार को हुई मुठभेड़ में मारे गए 31 नक्सलियों में नीति उर्फ उर्मिला भी शामिल है। नीति के सर पर 25 लाख रुपए का इनाम था और वह माओवादियों के सबसे मजबूत ईकाई दंडकारण्य जोनल कमेटी की सदस्य थी। सुरक्षाबलों ने चार अक्टूबर को नारायणपुर-दंतेवाड़ा जिले की सीमा में अबूझमाड़ क्षेत्र में स्थित थुलथुली और गवाड़ी गांव के करीब यह कार्रवाई की थी। थुलथुली, गवाड़ी और आस-पास के गांवों को माओवादियों के पीएलजीए कंपनी नंबर छह के लिए सबसे सुरक्षित ठिकाना माना जाता था। इस कंपनी का नेतृत्व नीति कर रही थी। पुलिस ने बताया कि माओवादियों की पीएलजीए कंपनी नंबर छह के लिए थुलथुली, गवाड़ी और आसपास के गांवों को सुरक्षित ठिकाना माना जाता है और इसकी कमान नीति के पास थी। पीएलजीए कंपनी नंबर छह नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर और बस्तर जिलों के जंक्शन पर सक्रिय है, जहां माओवादी अक्सर अपना प्रचार-प्रसार और ग्रामीणों को अपने पक्ष में करने के लिए बैठकें करते हैं।

गवाड़ी गांव के 30 वर्षीय एक ग्रामीण ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ”नीति ने मुठभेड़ से दो दिन पहले गवाड़ी में ग्रामीणों के साथ बैठक की थी। उसके आखिरी शब्द यही थे कि पुलिस शिविर की स्थापना और सड़कें बनने की अनुमति न दें। हम सड़कें नहीं चाहते हैं क्योंकि अगर सड़कें बन गई तो हमारा ‘जल, जंगल और जमीन’ हमसे छीन लिया जाएगा।” नीति पड़ोसी बीजापुर जिले के गंगालूर इलाके के इरमागुंडा गांव की रहने वाली थी। (Maoist leader Nirmala Full story in hindi)  खुद को किसान बताने वाले इस ग्रामीण ने दावा किया कि सुरक्षाकर्मी एक साल में दो बार गवाड़ी आए थे। उन्होंने बताया कि पुलिस ने अपने दौरे के दौरान ग्रामीणों से पूछताछ की और उनसे भी पूछताछ की गई। उन्होंने किसी भी ग्रामीण के नक्सलियों से संबंध होने से इनकार किया।

युवक ने बताया कि मुठभेड़ वाले दिन वह दोपहर के भोजन के बाद घर के कामों में व्यस्त था, तभी जंगल में पहाड़ियों की चोटी से गोलियों की आवाजें गूंजने लगीं। उन्होंने बताया कि यह कोई असामान्य आवाज नहीं थी, क्योंकि यह नक्सलियों का गढ़ है, लेकिन जब गोलीबारी जारी रही, तो ग्रामीणों को एहसास हुआ कि कुछ बड़ा हुआ है। कुछ घंटों बाद उन्होंने देखा कि एक हेलीकॉप्टर घायल जवान को ले जाने के लिए उनके गांव के पास उतरा था। धीरे-धीरे उन्हें पता चला कि कई नक्सलियों को मार गिराया गया है। गवाड़ी उन गांवों में से एक है जो जंगल के सबसे करीब है, जहां मुठभेड़ हुई थी। छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद यह पहली बार है जब सुरक्षाबलों ने किसी एक नक्सल विरोधी अभियान में बड़ी संख्या में नक्सलियों को मार गिराया है।

नारायणपुर जिले का गांव गवाड़ी महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की सीमा पर ओरछा विकास खंड के अंतर्गत थुलथुली ग्राम पंचायत में आता है। (Maoist leader Nirmala Full story in hindi) अबूझमाड़ के जंगलों में बसे गवाड़ी तक पहुंचना मुश्किल है। ओरछा से आगे कार या बस योग्य सड़क नहीं है। इलाके के आखिरी पुलिस स्टेशन ओरछा से करीब 30 किलोमीटर दूर पहाड़ी इलाके में बसे इस गांव में पहुंचने के लिए मोटरसाइकिल ही सहारा है। यहां पहुंचने में भी कम से कम दो घंटे लग जाते हैं और कम से कम सात छोटी नदियों को पार करना पड़ता है।

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ओरछा से आगे कोई सुरक्षा शिविर नहीं है। गांव में अबूझमाड़िया जनजाति के 30 परिवार हैं। गांव को एक ही दूरसंचार सेवा प्रदाता से मोबाइल फोन कनेक्टिविटी मिलती है, लेकिन रेंज अनिश्चित है जिससे निवासियों को मोबाइल नेटवर्क तक पहुंचने के लिए एक विशेष स्थान पर इकट्ठा होना पड़ता है। गवाड़ी के एक अन्य किसान कोसरू वड्डे (36) ने कहा कि जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र के कई गांवों का सर्वेक्षण नहीं हुआ है (राजस्व रिकॉर्ड के अनुसार), जिससे आदिवासी विभिन्न सरकारी योजनाओं के लाभों से वंचित हैं। किसान वड्डे ने कहा कि ग्रामीण बेहतर स्कूल, स्वच्छ पेयजल और स्वास्थ्य सुविधाएं चाहते हैं, लेकिन सड़कें नहीं हैं। सड़कें बनाए बिना उनके लिए सुविधाओं का प्रबंध करना सरकार पर निर्भर है।

आठवीं कक्षा की पढ़ाई छोड़ चुके वड्डे गांव के सबसे पढ़े-लिखे व्यक्ति हैं। गवाड़ी में एक प्राथमिक विद्यालय है, जहां वड्डे मध्याह्न भोजन पकाने का काम करते हैं। उन्हें अपने और स्कूली बच्चों के लिए ओरछा से राशन लाना पड़ता है जो एक कठिन काम है। बस्तर क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि दंतेवाड़ा जिले के बारसूर थाना और नारायणपुर जिले के ओरछा थाना क्षेत्र के अंतर्गत गवाड़ी, थुलथुली, नेंदूर और रेंगावाया गांव के मध्य पहाड़ी पर माओवादियों के कंपनी नंबर छह तथा पूर्वी बस्तर डिवीजन आदि के नक्सलियों की उपस्थिति की सूचना मिली थी। (Maoist leader Nirmala Full story in hindi) सूचना के बाद दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिले से डीआरजी और विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के लगभग 1500 जवानों को नक्सल विरोधी अभियान में रवाना किया गया था।

सुंदरराज ने कहा, ‘‘चूंकि यह कंपनी नंबर छह का मुख्य क्षेत्र है, इसलिए माओवादियों द्वारा ग्रामीणों की बैठकें आयोजित करना कोई असामान्य बात नहीं है। वे अक्सर अपना प्रचार प्रसार करने और ग्रामीणों को अपने पक्ष में करने के लिए ऐसी बैठकें करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि पुलिस का उद्देश्य दुर्गम जंगलों और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में रहने वाले लोगों की रक्षा करना और उन्हें माओवादियों के चंगुल से बाहर निकालना है, जिससे क्षेत्र में विकास और शांति स्थापित हो सके। क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मारे गए 31 माओवादियों में से पुलिस ने अब तक 22 माओवादियों की पहचान कर ली है, जिन पर कुल 1.67 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था।

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