नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ने महामारी में सबसे ज्यादा प्रभावित होटल, पर्यटन उद्योग के साथ ही बस संचालकों, सैलून और ब्यूटी पार्लर जैसे छोटे कारोबार को भी मदद के लिए हाथ बढ़ाया है। आरबीआई की ओर से बैंकों को रेपो रेट (चार फीसदी) ब्याज पर 3 साल के लिए 15 हजार करोड़ का फंड दिया जाएगा। जिससे बैंक इन क्षेत्रों को सस्ता कर्ज उपलब्ध करा सकेंगे।
आरबीआई ने होटल-रेस्तरां, पर्यटन, विमानन सहायता सेवाओं, ट्रैवल एजेंट टूर ऑपरेटर एयरपोर्ट ग्राउंड हैंडलिंग सेवाओं, एडवेंचर ट्रैवल एजेंसी, निजी बस संचालक, कार रिपेयर सर्विस, कार रेंट सर्विस, स्पा, ब्यूटी पार्लर, सैलून, इवेंट-कॉन्फ्रेंस ऑर्गेनाइजर को भी सस्ता कर्ज उपलब्ध कराने की सुविधा दी है। इसके लिए 31 मार्च तक आवेदन किया जा सकेगा।
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सिडबी के जरिए एमएसएमई को 16 हजार करोड़ का कर्ज बांटने में आकांक्षी जिलों के छोटे व मझोले उद्यमों को प्राथमिकता दी जाएगी। 4 फ़ीसदी ब्याज पर जारी इस सुविधा का लाभ योजना शुरू होने से 1 साल तक उठा सकेंगे। आरबीआई ने कहा भविष्य में अर्थव्यवस्था और उद्योगों की जरूरत को देखते हुए योजना की अवधि बढ़ाई जा सकती है।
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RBI ने चालू वित्तवर्ष में खुदरा महंगाई औसतन 5.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है, जो उसके 4 फीसदी के तय दायरे से ऊपर है। एमपीसी बैठक के बाद गवर्नर ने कहा, बेहतर मानसून और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार की वजह से खुदरा महंगाई काबू में रहेगी। हालांकि, वैश्विक स्तर पर क्रूड, स्टील सहित अन्य कमोडिटी के दाम बढ़ने से पूरे साल महंगाई का दबाव रहेगा। पहली तिमाही में 5.2 फीसदी, दूसरी में 5.4 फीसदी, तीसरी में 4.7 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.3 फीसदी रहने का अनुमान है। खाद्य उत्पादों की कीमतें गिरने से अप्रैल में खुदरा महंगाई 4.3 फीसदी रही थी।
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RBI ने स्पष्ट किया कि अर्थव्यवस्था को विकास दर को रफ्तार देने के लिए 2020-21 के नौ महीनों का 99,122 करोड़ रुपये सरप्लस दिया। यह राशि पिछले वित्तवर्ष में 7.3 फीसदी गिरावट झेल चुकी अर्थव्यवस्था को सुधारने में मददगार होगी। गवर्नर दास ने कहा, कोविड-19 की दूसरी लहर ने अर्थव्यवस्था पर फिर दबाव बढ़ा दिया है। इस कारण 2021-22 में विकास दर 9.5 फीसदी के आसपास रहेगी, जो पहले 10.5 फीसदी रहने का अनुमान था। पहली तिमाही में 18.5 फीसदी, दूसरी में 7.9 फीसदी, तीसरी में 7.2 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.6 फीसदी रह सकती है। 2020-21 में आरबीआई की कमाई 10.96 फीसदी गिरकर 1.33 लाख करोड़ रही, जबकि खर्च 60.10 फीसदी घटकर 34,146 करोड़ रह गया।
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अर्थव्यवस्था की मजबूती की ओर इशारा करते हुए कहा कि हमारा विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर के करीब पहुंच गया है, जो 18 महीने के आयात के लिए पर्याप्त है। वैश्विक अर्थव्यवस्था भी खुल रही है। अब निर्यात को बढ़ावा देने का समय आ चुका है। इसके लिए हमें नीतिगत समर्थन देना होगा।