नयी दिल्ली, 12 नवंबर (भाषा) सीबीआई ने फेडर्स इलेक्ट्रिक एंड इंजीनियरिंग के पूर्व अधिकारियों और कुछ अन्य के खिलाफ आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी के आरोप में आरोपपत्र दाखिल किया है। धोखाधड़ी से भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के एक संघ को 1,028 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने पूर्व सीएफओ अख्तर अजीज सिद्दीकी, पूर्व निदेशक शाम सुंदर गौड़, भरत पुंज, ब्रजेश चंद माथुर, मनोज कुमार, सौरभ किथानिया और प्रतीक किठानिया सहित अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत आरोप पत्र दाखिल किया।
एजेंसी को एसबीआई के तत्कालीन उप महाप्रबंधक की जांच के लिए सक्षम प्राधिकारी से मंजूरी नहीं मिल सकी।
एजेंसी ने अदालत को बताया कि वह एसबीआई अधिकारियों की संलिप्तता की जांच नहीं कर सकती, क्योंकि बैंक ने उसे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17-ए के तहत अनिवार्य अनुमति नहीं दी थी, इसलिए उसने केवल भारतीय दंड संहिता की प्रासंगिक धाराओं के तहत निजी व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।
एक विशेष अदालत ने टिप्पणी की थी, “इस न्यायालय की सुविचारित राय में, यद्यपि सक्षम प्राधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराधों की जांच करने की अनुमति नहीं दी गई थी, तथापि, बैंक अधिकारियों/लोक सेवकों के खिलाफ भादंवि के तहत अपराधों की जांच करने से जांच अधिकारी पर कोई रोक या प्रतिबंध नहीं था।”
अदालत ने मामले को नियमित अदालत में स्थानांतरित करने की सिफारिश की, क्योंकि आरोपपत्र में भ्रष्टाचार निवारण के प्रावधानों का प्रयोग नहीं किया गया था।
विशेष अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा के तहत बैंक अधिकारी की जांच का मामला सक्षम अदालत पर छोड़ दिया, जो भविष्य में मामले की सुनवाई करेगी।
बैंकों के संघ में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, कर्नाटक बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और आईसीआईसीआई बैंक भी शामिल थे।
भाषा
प्रशांत माधव
माधव
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