Chandrayaan-3 changed its orbit : नई दिल्ली। शुक्रवार को ISRO ने चंद्रमा के अपने तीसरे मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च कर दिया है। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से आज दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया है। पहले पृथ्वी के आर्बिट और उसके बाद चंद्रमा के आर्बिट में चक्कर लगाते हुए, आज से ठीक 41 दिन बाद चंद्रयान-3 की चांद की सतह पर 24 से 25 अगस्त के बीच लैंडिंग होगी। इस पर इसरो चीफ प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि ‘चंद्रयान-3’ एलवीएम-3एम4 रॉकेट ने चंद्रयान 3 को सटीक कक्षा में स्थापित किया।
Chandrayaan-3 changed its orbit : बता दें कि पहली कक्षा बदल दी गई है। अब वह 42 हजार से ज्यादा की कक्षा में पृथ्वी के चारों तरफ अंडाकार चक्कर लगा रहा है। फिलहाल इसरो वैज्ञानिक इसकी कक्षा से संबंधित डेटा का एनालिसिस कर रहे हैं। लॉन्चिंग के बाद चंद्रयान-3 को 179 किलोमीटर की पेरीजी और 36,500 किलोमीटर की एपोजी वाली अंडाकार कक्षा में डाला गया था। यानी कम दूरी पेरीजी। लंबी दूरी एपोजी। पहले ऑर्बिट मैन्यूवर में एपोजी को बढ़ाया गया है। यानी 36,500 किलोमीटर से 42 हजार किलोमीटर।
31 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 धरती से दस गुना दूर जा चुका होगा। इसरो वैज्ञानिक एपोजी में बदलाव करके उसकी ज्यादा दूरी को बढ़ाते रहेंगे। तब तक बढ़ाएंगे जब तक वह धरती से करीब 1 लाख किलोमीटर दूर नहीं पहुंच जाता। यहां पहुंचने के बाद वैज्ञानिक उसे बनाएंगे गुलेल। यानी स्लिंगशॉट करके चंद्रयान-3 को ट्रांसलूनर इंसर्शन में भेजेंगे। यानी चंद्रमा के लिए तय लंबी दूरी वाली सोलर ऑर्बिट।
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पांच दिन इन लंबे ऑर्बिट में यात्रा करने के बाद यानी 5-6 अगस्त को चंद्रयान-3 लूनर ऑर्बिट इंसर्शन स्टेज में होगा। तब चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन सिस्टम को ऑन किया जाएगा। उसे आगे की ओर धकेला जाएगा। यानी चंद्रमा की 100 किलोमीटर की ऊपरी कक्षा में भेजा जाएगा। 17 अगस्त को प्रोपल्शन सिस्टम चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर से अलग हो जाएगा।
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