बांग्लादेश के साथ जल बंटवारे संबंधी वार्ता में शामिल न करने के ममता के दावे को केंद्र ने खारिज किया |

बांग्लादेश के साथ जल बंटवारे संबंधी वार्ता में शामिल न करने के ममता के दावे को केंद्र ने खारिज किया

बांग्लादेश के साथ जल बंटवारे संबंधी वार्ता में शामिल न करने के ममता के दावे को केंद्र ने खारिज किया

:   Modified Date:  June 25, 2024 / 11:32 PM IST, Published Date : June 25, 2024/11:32 pm IST

कोलकाता, 25 जून (भाषा) केंद्र ने मंगलवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल सरकार को ‘भारत-बांग्लादेश संधि’ की समीक्षा और नवीनीकरण प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी दी गई है और वह इसमें सक्रिय रूप से शामिल है।

हालांकि, ममता बनर्जी प्रशासन ने इस दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि जल बंटवारे के मुद्दे पर कोई औपचारिक या अनौपचारिक नीति परामर्श नहीं हुआ था।

जल शक्ति मंत्रालय के तहत आने वाले जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारियों ने 1996 की ‘भारत-बांग्लादेश संधि’ की समीक्षा के लिए अगस्त 2023 और अप्रैल 2024 के बीच आयोजित बैठकों में भाग लिया था।

अधिकारी ने नयी दिल्ली से ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘ऐसे पत्र हैं जिनसे पता चलता है कि पश्चिम बंगाल सरकार को न केवल सूचित किया गया था, बल्कि ऐसे प्रतिनिधि भी थे जिन्होंने जल बंटवारा संधि के नवीनीकरण पर विचार करने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण डेटा प्रदान करके इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लिया। ये कार्य स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि राज्य सरकार को इस बारे में सूचित किया गया था और संधि की समीक्षा तथा नवीनीकरण प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल किया गया था।’’

उन्होंने कहा कि 24 जुलाई 2023 को गंगा जल बंटवारे पर 1996 की भारत-बांग्लादेश संधि की आंतरिक समीक्षा करने और 2026 से आगे इसके नवीनीकरण या विस्तार के लिए भारत की रणनीति तैयार करने के लिए एक समिति गठित की गई थी।

अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘‘समिति में पश्चिम बंगाल सरकार का एक प्रतिनिधि शामिल था, जो मुख्य अभियंता के पद से नीचे का नहीं है। इस समिति में इस प्रतिनिधि की उपस्थिति ने सुनिश्चित किया कि समीक्षा के दौरान राज्य की चिंताओं और सूचना पर विचार किया जाए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह संधि से संबंधित महत्वपूर्ण चर्चाओं और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में पश्चिम बंगाल को शामिल करने के लिए केंद्र सरकार के सुविचारित प्रयास को दर्शाता है।’’

उन्होंने कहा कि 23 अगस्त 2023 को संधि की आंतरिक समीक्षा करने के लिए प्रस्तावित समिति में राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए पश्चिम बंगाल सिंचाई और जलमार्ग विभाग के मुख्य अभियंता (डिजाइन और अनुसंधान) को नामित किया गया था।

उन्होंने कहा कि इस साल पांच अप्रैल को आयोजित एक अन्य बैठक में, पश्चिम बंगाल सिंचाई और जलमार्ग विभाग के संयुक्त सचिव मौजूद थे।

भारत और बांग्लादेश सरकारों ने ‘लीन सीजन’ (जब नदी में बहाव सबसे कम होता है) के दौरान फरक्का में गंगा के पानी को साझा करने के लिए 12 दिसंबर 1996 को एक संधि पर हस्ताक्षर किए थे।

संधि की वैधता 30 साल (आपसी सहमति के आधार पर नवीनीकृत) के लिए है और 2026 में इसका नवीनीकरण होना है।

बांग्लादेश के साथ तीस्ता नदी जल बंटवारा और फरक्का संधि से संबंधित वार्ता में पश्चिम बंगाल सरकार को शामिल नहीं करने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर ‘कड़ी आपत्ति’ जताई थी।

पत्र में अपनी नाखुशी जाहिर करते हुए बनर्जी ने प्रधानमंत्री से पश्चिम बंगाल सरकार को शामिल किए बिना पड़ोसी देश के साथ ऐसी कोई चर्चा नहीं करने का आग्रह भी किया।

राज्य सचिवालय में मीडिया से बात करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार अलपन बंदोपाध्याय ने कहा, ‘‘केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच जल बंटवारे के मुद्दे पर कोई औपचारिक या अनौपचारिक नीति परामर्श नहीं हुआ।’’

उन्होंने यह भी दावा किया कि ‘जल शक्ति मंत्रालय’ ने इस संबंध में पश्चिम बंगाल के साथ कोई संवाद नहीं किया है।

भाषा अमित खारी

खारी

 

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