(माणिक गुप्ता)
कोझिकोड़, 26 जनवरी (भाषा) रॉ के पूर्व प्रमुख ए.एस. दुलत ने आगाह किया कि 2024 के चुनावों के बाद कश्मीरियों की ‘खुशी’ ‘अस्थायी’ है, और जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल होने को लेकर उनके इंतेजार करने से मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और केंद्र सरकार दोनों की विश्वसनीयता दांव पर है।
दुलत ने शनिवार को कहा कि मुख्यमंत्री बनने के तुरंत बाद केंद्र सरकार के साथ अच्छे संबंधों की इच्छा व्यक्त करने वाले अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग करके ‘कुछ ज्यादा नहीं मांग रहे।”
उन्होंने कहा, “उमर क्या मांग रहे हैं? एक कश्मीरी क्या उम्मीद करता है? अनुच्छेद 370 चला गया है, ऐसा नहीं है कि यह कश्मीरियों के जेहन से निकल गया है, वे अब भी 370 के बारे में सोचते हैं। लेकिन उमर जानते हैं कि यह वापस नहीं आएगा। वह अपने आत्मसम्मान के लिए राज्य का दर्जा चाहते हैं।”
वर्ष 1999 से 2000 के दौरान विदेशी मामलों की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनेलिसिस विंग (रॉ) का नेतृत्व करने वाले दुलत ने कहा, ‘मुझे लगता है कि यह दिल्ली और श्रीनगर दोनों के हित में है कि राज्य का दर्जा जल्द से जल्द वापस किया जाए। यह दोनों पक्षों की विश्वसनीयता के लिए किया जाना चाहिए, अन्यथा उमर अपनी विश्वसनीयता खो देंगे और दिल्ली (केंद्र सरकार) भी।’
उन्होंने यहां केरल साहित्य महोत्सव (केएलएफ) में हार्पर कॉलिन्स इंडिया द्वारा प्रकाशित अपनी आत्मकथा ‘ए लाइफ इन द शैडोज़: ए मेमोयर’ के बारे चर्चा करते हुए ये बातें कहीं।
दुलत (85) ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि निकट भविष्य में जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल होने की संभावना नहीं है, जो दुलत के अनुसार चुनावों के तुरंत बाद प्रदान किया जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा, ‘अब राज्य का दर्जा एक मुद्दा बन गया है और दिल्ली का यह रुख लंबे समय तक काम नहीं करेगा कि वह राज्य का दर्जा तो देना चाहती है, लेकिन अपनी पसंद के समय पर।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने संविधान का अनुच्छेद 370 पांच अगस्त 2019 को निरस्त करके जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा वापस लेकर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था।
भाषा जोहेब रंजन
रंजन
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)