मुंबई में पूर्व निगम पार्षद की हत्या की जांच सीबीआई ने अपने हाथ में ली |

मुंबई में पूर्व निगम पार्षद की हत्या की जांच सीबीआई ने अपने हाथ में ली

मुंबई में पूर्व निगम पार्षद की हत्या की जांच सीबीआई ने अपने हाथ में ली

:   Modified Date:  September 23, 2024 / 09:24 PM IST, Published Date : September 23, 2024/9:24 pm IST

नयी दिल्ली, 23 सितंबर (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के पूर्व निगम पार्षद अभिषेक घोसालकर की हत्या की जांच के सिलसिले में एक मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

बम्बई उच्च न्यायालय ने इस महीने के प्रारंभ में हत्याकांड की जांच मुंबई पुलिस से सीबीआई को हस्तांतरित करने का आदेश दिया था, जिसके बाद एजेंसी ने जांच का जिम्मा संभाला है। अदालत ने मामले की पुलिस जांच में कुछ खामियों और कुछ अन्य पहलुओं को रेखांकित किया गया था।

आठ फरवरी को फेसबुक लाइव सेशन के दौरान स्थानीय व्यवसायी मौरिस नोरोन्हा ने पूर्व पार्षद की बोरीवली स्थित उनके कार्यालय में गोली मारकर हत्या कर दी थी। व्यवसायी ने इसके बाद खुद को गोली मार ली थी।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि यह एक निर्मम हत्या थी, जिसे लाइव रिकॉर्ड किया गया था। इस घटना ने सभी की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया था।

सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने मुंबई पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी को अपने हाथ में ले लिया है, जिसमें नोरोन्हा को मामले में एकमात्र संदिग्ध बताया गया था।

पुलिस के अनुसार, नोरोन्हा विभिन्न मुद्दों को लेकर घोसालकर से नाराज था।

कथित तौर पर आरोपी का मानना ​​था कि घोसालकर ने उसके खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करवाया और उसके राजनीतिक करियर को भी बर्बाद किया।

नोरोन्हा के अंगरक्षक अमरेंद्र सिंह को मामले में गिरफ्तार किया गया था। सिंह की पिस्तौल कथित तौर पर गोलीबारी में इस्तेमाल की गई थी। वह फिलहाल जमानत पर बाहर है।

पीठ ने कहा था, ‘‘मौजूदा मामले में जो बात सामने आ रही है, वह यह है कि मृतक अभिषेक की मौत के इर्द-गिर्द रहस्य बरकरार है।’’

उच्च न्यायालय ने यह मामला सीबीआई को सौंपते हुए कहा था कि संदिग्ध परिस्थितियों के चक्रव्यूह को भेदा और सुलझाया नहीं जा सका है।

अदालत ने कहा था कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं की जांच नहीं की गई है, जिनकी जांच होनी चाहिए थी। इसने कहा था कि अगर मामले के सभी पहलुओं की जांच नहीं की जाती है, जैसा कि वर्तमान मामले में किया गया है, तो यह न्याय का मखौल होगा।

भाषा सुरेश माधव

माधव

 

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