Raid On Satya Pal Malik: "मैं किसान का बेटा, इस छापेमारी से नहीं घबराऊँगा".. CBI के दबिश के बाद मोदी सरकार को बताया तानाशाह | CBI Raid On Satya Pal Malik

Raid On Satya Pal Malik: “मैं किसान का बेटा, इस छापेमारी से नहीं घबराऊँगा”.. CBI के दबिश के बाद मोदी सरकार को बताया तानाशाह

Edited By :   Modified Date:  February 22, 2024 / 11:42 AM IST, Published Date : February 22, 2024/11:42 am IST

नई दिल्ली : पूर्व गवर्नर सत्यपाल मलिक के दफ्तर और आवास पर सीबीआई ने छापेमारी की हैं। जाँच एजेंसी के इस दबिश के बाद सत्यपाल मालिक ने ‘एक्स’ पर अपनी प्रतिक्रिया दी हैं। उन्होंने लिखा हैं “पिछले 3-4 दिनों से मैं बिमार हूं ओर हस्पताल में भर्ती हूं। जिसके वावजूद मेरे मकान में तानाशाह द्वारा सरकारी एजेंसियों से छापे डलवाएं जा रहें हैं। मेरे ड्राईवर, मेरे साहयक के ऊपर भी छापे मारकर उनको बेवजह परेशान किया जा रहा है। मैं किसान का बेटा हूं, इन छापों से घबराऊंगा नहीं। में किसानों के साथ हूं”

आज पड़े हैं छापे

गौरतलब हैं कि पीएम मोदी और केंद्र सरकार के धुर आलोचक, जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के आवास और दफ्तर पर केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने छापेमारी की हैं। यह छापेमारी जम्मू-कश्मीर के किरू हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के ठेके से संबंधित मामले में की जा रही है। सत्यपाल मलिक पहले भी जांच एजेंसियों के निशाने पर आ चुके हैं। किसानों के मुद्दे पर वह सरकार की आलोचना भी करते रहे हैं।

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जानकारी के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के किरू हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के आवंटन मामले में कथित भ्रष्टाचार के आरोपों में सीबीआई की जांच जारी है। इसी मामले में सीबीआई ने आज 30 से ज्यादा जगहों पर छापेमारी की है। इसमें जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक का घर भी शामिल है।

Who is satya pal malik

कौन हैं सत्यपाल मलिक?

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट समुदाय से आने वाले सत्यपाल मलिक को रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनने के बाद बिहार का राज्यपाल बनाया गया था. इसके बाद उन्हें देशके सबसे संवेदनशील राज्य जम्मू कश्मीर का गवर्नर भी बनाया गया था। उनके कार्यकाल में ही पुलवामा का आतंकी हमला सामें आया था। राज्यपाल बनने से पहले वह बीजेपी में किसानों के मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहे थे। हालाँकि तब तक कश्मीर से धारा 370 हटाया नहीं गया था।

मलिक (72) करीब-करीब सभी राजनीतिक विचारधाराओं से जुड़े रहे हैं। उन्होंने छात्र समाजवादी नेता के तौर अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था. पिछले साल बिहार का राज्यपाल नियुक्त किए जाने से पहले वह भाजपा के उपाध्यक्ष थे। राममनोहर लोहिया से प्रेरित मलिक ने मेरठ यूनिवर्सिटी में एक छात्र नेता के तौर पर अपना राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। वह यूपी के बागपत में 1974 में चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल से विधायक चुने गए थे। इसके अलावा वह 1980 से 1992 तक राज्यसभा के सांसद भी रह चुके हैं। सत्यपाल भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे हैं। चुनाव हरने के बाद भी एक दौर में पार्टी में उनका कद काफी ऊँचा था। फ़िलहाल वह पीएम और भाजपा के धुर विरोधी माने जाते हैं। वे पुलवामा अटैक को लेकर प्रधानमंत्री के कार्यशैली पर सवाल उठा चुके हैं। मलिक के घर पर पड़े इस छापे के बाद अब भाजपा और विपक्ष के बीच एक बार फिर से सियासी बसाल मचने की आशंका है। विपक्ष एक बार फिर से केंद्रीय जाँच एजेंसियोंके उपयोग को लेकर सरकार पर हमलावर हो सकती हैं।

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