Captain Anshuman Singh Wife Left In Law's House

Captain Anshuman Singh Wife: ‘न बेटा बचा, न बहू बची और न इज्जत’ ससुराल छोड़कर मायके चली गई कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी, माता-पिता ने रो-रोकर बयां किया दर्द

Captain Anshuman Singh Wife: 'न बेटा बचा, न बहू बची और न इज्जत' ससुराल छोड़कर मायके चली गई कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी, माता-पिता ने रो-रोकर बयां किया दर्द

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Modified Date: July 12, 2024 / 04:21 PM IST
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Published Date: July 12, 2024 10:42 am IST

नई दिल्ली: Captain Anshuman Singh Wife सियाचीन में अपने साथियों के बचाने का प्रयास करते हुए वीरगति को प्राप्त करने वाले कैप्टन अंशुमान सिंह की पत्नी को स्मृति और मां मंजू को कीर्ति चक्र प्रदान किया गया। कीर्ति चक्र प्राप्त करने के बाद शहीद कैप्टन की पत्नी स्मृति ने अपनी लव स्टोरी को सुनाई थी और वह काफी भावुक भी दिखी थीं। कैप्टन अंशुमान सिंह और स्मृति की प्रेम कहानी सुनकर हर कोई भावुक हो गया था और उनके प्रति सद्भावना प्रकट कर रहे थे। लेकिन अब खबर आ रही है कि कैप्टन अंशुमान की पत्नी ने अपना ससुराल छोड़ दिया है और मायके आ गई है। इस बात की जानकारी अंशुमान सिंह की मां मंजू ने दी है।

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Captain Anshuman Singh Wife कैप्टन अंशुमान सिंह के माता-पिता ने अपनी बहू स्मृति पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वो उनका परिवार छोड़कर जा चुकी है और सब कुछ अपने साथ ले गई है। शहीद के पिता रवि प्रताप सिंह ने बताया कि अंशुमान सिंह की पत्नी उनका परिवार छोड़कर जा चुकी हैं। उन्होंने कहा, “हमें आजतक ये नहीं पता चला कि वे हमारा परिवार छोड़कर क्यों गईं। उन्होंने भारत मंडपम में हुए रक्षा अलंकरण समारोह में एक इंटरव्यू दिया। वो भी मुझे लगता है कि सत्य से परे था। क्योंकि उन्होंने कहा कि हमारी (अंशुमान से) लंबी बातचीत हुई थी। जबकि वो रात के साढ़े 9 बजे से लेकर 12 बजे तक अपने दोस्तों का ITR भरवाने के लिए हमारे साथ लगी रहीं। मेरी बेटी और वे (स्मृति) एक ही साथ थीं।”

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अंशुमान के पिता ने उन पर झूठ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 18 तारीख को मेरी एक या दो मिनट अंशुमान से बात हुई थी और कोई बात नहीं हुई। 19 तारीख को तो घटना ही हो गई थी। उन्होंने कहा, “मैंने 1 फरवरी को पूजन कराया था। उसमें भी वो (स्मृति) नहीं आईं। वो हमेशा एक बात कहती रहीं कि हमें समय चाहिए संभलने के लिए। लेकिन आज एक साल हो गया है और मुझे समझ नहीं आया कि वो संभल गई या नहीं।” कैप्टन के पिता ने कहा कि उनके (स्मृति के) इस घर से जाने के 10 ही दिन बाद वो एक स्कूल में पढ़ाने लगीं। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति स्कूल में तभी पढ़ा सकता है जब वह मानसिक रूप से स्थिर हो।

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रवि प्रताप सिंह ने अपने बेटे के ससुराल वालों पर भी बड़े आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि बहू से ज्यादा उनके माता-पिता का इन्फ्लुएंस रहा है। उन लोगों का अपना ताना बाना है। वो हमारे साथ 5 महीने ही रही हैं। हमसे जब भी बात होती थी तो बहू नहीं बल्कि उनके माता-पिता बात करते थे। कैप्टन की मां ने कहा कि उनकी बहू ने यहां से जाने के कुछ दिन तक ही रिप्लाई किया इसके बाद अचानक सबकुछ छोड़ दिया। रवि प्रताप सिंह ने बहुत बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी पहले से प्लानिंग थी कि उनको हमसे कोई रिश्ता नहीं रखना है। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को बेटे को सम्मान देने की घोषणा हुई थी तभी उनकी अपनी बहू से बात हुई। इस दौरान उन्हें पूजा कराने के बारे में बताया गया। लेकिन जब पूजा के लिए बुलाया तो उन्होंने फोन उठाने से इनकार कर दिया।

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कैप्टन की मां ने बताया कि उनकी बहू नोएडा के घर से अपना सारा सामान पैक करके अपने साथ ले गई। जब उनकी बेटी नोएडा गई तो उसे इस बारे में पता चला कि स्मृति अपना सारा सामान पैक करके यहां से भी चली गई हैं। कैप्टन ने पिता ने कहा, “मेरा बेटा उनसे प्रेम करता था लेकिन उन्होंने प्रेम की परिभाषा को तार-तार कर दिया। मेरे पास न बेटा बचा, न बहू बची और न इज्जत बची।”

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शहीद ने पिता ने आगे बताया कि सरकार की तरफ से मिलने वाले मुआवजे का बड़ा हिस्सा उनको मिला। उन्होंने कहा, “आर्मी की एक प्रक्रिया है। उसके मुताबिक, जो निकटतम परिजन को मिलना है वो उसे मिला। वो सब उनको (स्मृति) को मिला। यूपी सरकार के पैसों में से 35 लाख उनको मिले और 15 लाख हमें मिले। आर्मी इंश्योरेंस का पैसा था वो 50-50 हुआ। बाकी पुरस्कार की राशि भी उनको मिलेगी। पेंशन उनको मिलेगी। कीर्ति चक्र की पेंशन भी उनको मिलेगी।” उन्होंने कहा, “हमें नहीं पता कि उनको (बहू को) और कहां से कितना पैसा मिला। उन्होंने तो हमें परिवार का हिस्सा ही नहीं समझा।” कैप्टन की मां ने कहा कि उनकी बहू कहती है कि उनको ये पैसा सरकार दे रही है।

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इससे पहले लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कीर्ति चक्र से सम्मानित कैप्टन अंशुमान सिंह की मां से मुलाकात की। सिंह की मां ने बाद में अग्निपथ योजना का विरोध करते हुए सरकार से सेना को दो श्रेणियों में नहीं बांटने का आग्रह किया था। शहीद कैप्टन की मां ने यह अपील ऐसे समय की है जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी अग्निपथ योजना पर लगातार सवाल उठा रहे हैं। गांधी ने दावा किया है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में शहीद अग्निवीरों के परिवारों को मुआवजे के मुद्दे पर ‘झूठ’ बोला है।

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रायबरेली के एक गेस्ट हाउस में गांधी से मुलाकात के बाद दिवंगत कैप्टन अंशुमान सिंह की मां मंजू सिंह ने संवाददाताओं से कहा, “मैं सरकार से सेना को दो श्रेणियों में न बांटने का अनुरोध करती हूं।” उन्होंने कहा कि चार साल की नौकरी उचित नहीं है, क्योंकि जिन अग्निवीरों को नौकरी से निकाल दिया जाएगा, उन्हें दूसरा उपयुक्त करियर खोजने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।

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