मुंबई: Cancer Tablet Tata कैंसर आज भी दुनियाभर में लाइलाज बीमारी के समान है। शुरुआती दौर में ही इसकी पहचान हो जाए जो मरीज को बचाया जा सकता है, लेकिन शुरुआत में ही इसकी पहचान कर पाना भी मुश्किल है। वहीं, अंतिम दौर में मरीज की कीमो थैरेपी के बाद भी जान बचने की संभावना बेहद कम ही रहती है। लेकिन इस बीच देश की नामी चिकित्सा संस्था टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के वैज्ञानिकों ने ऐसी दवा खोज निकाली है जो बेहद ही कम दाम पर मरीजों की न सिर्फ जान बचाएगा, बल्कि कीमो थैरेपी से होने वाले दुष्प्रभावों को भी कम करेगा।
Cancer Tablet Tata मिली जानकारी के अनुसार टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) के वैज्ञानिकों ने कैंसर की रोगथाम के लिए ऐसे टेबलेट की खोज की है जो मरीजों को मात्र 100 रुपए में मिलेगा। बताया जा रहा है कि टीआइएफआर ने फूड सेफ्टी एंड स्टैण्डर्ड अथॉरिटी से टैबलेट को बेचने अनुमति मांगी है। माना जा रहा है कि फूड सेफ्टी एंड स्टैण्डर्ड अथॉरिटी से अनुमति मिलने के बाद ये टैबलेट मई-जून तक बजार में उपलब्ध हो सकते हैं।
टाटा मेमोरियल अस्पताल के वरिष्ठ कैंसर सर्जन और पूर्व निदेशक डॉ. राजेंद्र बडवे ने बताया कि शोध के लिए चूहों में मनुष्य के कैंसर सेल डाले गए थे। इससे उनमें कैंसर ट्यूमर का निर्माण हुआ। इसके बाद रेडिएशन थेरेपी, कीमो थेरेपी और सर्जरी के जरिए उनका इलाज किया गया। इस दौरान पाया गया कि कैंसर सेल्स मर जाती है तो वह बहुत छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती है। इन्हें क्रोमेटिन कण कहा जाता है। ये कण खून के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंच जाते हैं और स्वस्थ सेल को कैंसर सेल में बदल देते हैं। इससे फिर कैंसर होने की आशंका रहती है।
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शोध के दौरान डॉक्टरों ने चूहों को रेसवेरेट्रॉल और कॉपर कंबाइंड प्रो-ऑक्सीडेंट टैबलेट दी। यह टैबलेट क्रोमेटिन कण के असर को रोकने में रफायदेमंद रही। डॉक्टरों का कहना है कि इससे साफ है कि टैबलेट कैंसर के उपचार में नई क्रांति ला सकती है। गौरतलब है कि अमरीका औरचीन के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा मरीज भारत में हैं और 10 मरीजों में से करीब 5 की मौत हो जाती है।
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