आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के गगनगीर में शांति, माहौल गमगीन |

आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के गगनगीर में शांति, माहौल गमगीन

आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर के गगनगीर में शांति, माहौल गमगीन

:   Modified Date:  October 23, 2024 / 05:20 PM IST, Published Date : October 23, 2024/5:20 pm IST

(जहरा शफी)

(फाइल फोटो के साथ)

गगनगीर (जम्मू-कश्मीर), 23 अक्टूबर (भाषा) श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग के पास पहाड़ों और घने जंगलों से घिरे खूबसूरत गांव गगनगीर में माहौल शांत लेकिन गमगीन है।

यहां पिछले दिनों एक बुनियादी ढांचा कंपनी पर आतंकवादी हमले में एक स्थानीय डॉक्टर समेत सात कर्मचारी मारे गए थे।

मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले में लगभग पूरी हो चुकी 6.5 किलोमीटर लंबी जेड-मोड़ सुरंग के कार्य में लगे श्रमिकों के शिविर स्थल पर हुआ हमला जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के पिछले तीन दशकों में किसी प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजना स्थल पर इस तरह की पहली घटना है।

इससे कई लोग हैरान रह गए। घटना के बारे में शुरुआत में कुछ ग्रामीणों को लगा कि पास में ही एक शादी समारोह में पटाखे फोडे़ जा रहे हैं।

उस रविवार की शाम को तीन दिन बीत चुके हैं। फिलहाल इस क्षेत्र में एक अजीब सी शांति छाई है। इस क्षेत्र को पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध सोनमर्ग का प्रवेश द्वार माना जाता है। जेड-मोड़ सुरंग के खुलने के बाद क्षेत्र में पर्यटन को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह सुरंग लद्दाख को सभी मौसम में सड़क संपर्क प्रदान करने की परियोजना का एक हिस्सा है।

हमलावरों का पता लगाने के लिए आतंकवाद रोधी अभियान तेज कर दिया गया है तथा शिविर स्थल के पास दर्जनों पुलिस वाहन तैनात हैं। सुरक्षा बल रणनीतिक राजमार्ग पर नागरिकों और पर्यटकों की आवाजाही पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं।

साठ साल से ज़्यादा उम्र के कमजोर दिखने वाले मोहम्मद रमजान मीर ने जम्मू-कश्मीर के अशांत इतिहास में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं लेकिन 20 अक्टूबर की शाम को उन्होंने जो कुछ देखा, उससे उनकी रूह कांप उठी।

अपने एक मंजिला घर के भीतर मिट्टी के चूल्हे को दुरूस्त करते हुए मीर अभी भी खुद को पूरी तरह संभाल नहीं पाए हैं। उनके घर से फर्लांग भर की दूरी पर वह आतंकवादी हमला हुआ था।

उन्होंने कहा, ‘‘हम समझ नहीं पा रहे थे कि क्या हो रहा है। गोलियों की आवाज से हम सभी डर गए, खासकर बच्चे। एक पल के लिए मुझे लगा कि यह सड़क के दूसरी तरफ के घर से आ रही पटाखों की आवाज है। उस घर में बेटी की शादी थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘शुरू में मैंने इसे हल्के में लिया। लेकिन जब आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी, तो मुझे एहसास हुआ कि कुछ बड़ी घटना हुयी है।’’

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) प्रोजेक्ट बीकन के लिए काम करने वाले मीर ने अपने इलाके में मौत के ऐसे भयावह दृश्य कभी नहीं देखे, जो कश्मीर में आतंकवाद के चरम के दौरान भी शांतिपूर्ण रहा था।

मीर के घर से बमुश्किल 100 मीटर की दूरी पर उनके पड़ोसी, दिवंगत मुख्तियार खान के घर पर उनकी बेटी की शादी के कारण उत्सव का माहौल था। खान की बेटी की शादी सोमवार को होनी थी और पूरा परिवार शादी के जश्न में डूबा हुआ था। महिलाएं नृत्य कर रही थीं और पारंपरिक लोकगीत गा रही थीं, जबकि बच्चे परिसर में खेल रहे थे। शादी में ढोल की तेज आवाज के बीच गोलियों और पीड़ितों द्वारा मदद के लिए की जा रही पुकारें दब गईं।

दुल्हन की भाभी रुबीना बताती हैं, ‘‘शादी में सभी नाच-गा रहे थे। घर में ढोल और बिजली के जनरेटर की आवाज गूंज रही थी। हमें यह समझने में काफी समय लगा कि हमारे इलाके में आतंकवादी हमला हुआ है।’’

परिवार के एक अन्य सदस्य राहिल ने भी उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन का ऐसा ही अनुभव साझा किया। राहिल ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में शांत गगनगीर में ऐसा खून-खराबा कभी नहीं देखा।

राहिल ने कहा, ‘‘हम अपनी बहन की शादी में इतने व्यस्त थे कि हमें पता ही नहीं चला कि आतंकवादियों ने हमारे घर के ठीक सामने निर्माण स्थल पर काम करने वाले मजदूरों पर हमला कर दिया है। यह इलाका हमेशा से शांतिपूर्ण रहा है। मैंने अपने पूरे जीवन में अपने इलाके में ऐसा कुछ होते नहीं देखा।’’

इस आतंकी हमले ने न केवल ग्रामीणों को सदमे में डाल दिया है, बल्कि मजदूरों और सुरक्षा कर्मचारियों पर भी भारी असर डाला है।

कुलबीर सिंह पिछले दो साल से निर्माण स्थल पर निजी सुरक्षा गार्ड के तौर पर काम कर रहे हैं। राजौरी जिले के निवासी कुलबीर सिंह साइट पर अपनी ड्यूटी करने के बाद अपने कैंप में वापस लौटे ही थे कि गोलियों की आवाजें हवा में गूंज उठी।

सिंह ने कहा, ‘‘मैं कैंप में अपनी वर्दी धो रहा था, तभी मैंने गोलियों की आवाज सुनी। शुरू में मुझे लगा कि यह पटाखों की आवाज है, क्योंकि सड़क के दूसरी तरफ शादी थी। लेकिन जैसे ही सच्चाई पता चली, मैंने और मेरे साथियों ने लाइट बंद करने सहित जरूरी एहतियाती कदम उठाए।’’

कुछ क्षण की खामोशी के बाद सिंह ने कहा कि उन्होंने नौकरी छोड़कर अपने पैतृक गांव लौटने का फैसला किया है। उनके कई सहकर्मियों ने भी यही फैसला लिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘कौन अपनी जान जोखिम में डालकर यहां रात की ड्यूटी करना चाहेगा? मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतनी जल्दी वापस जाऊंगा। करीब 11 लोगों ने नौकरी छोड़ दी है और आने वाले दिनों में कई और लोग ऐसा करेंगे।’’

उनके सहकर्मी अंकित देव ने घटनाक्रम के बारे में कहा कि शाम करीब 7.10 बजे जब वे मेस के अंदर थे, तभी हवा में गोलियों की आवाज गूंजी। उन्होंने बताया कि कर्मचारियों को लगा कि गांव में किसी शादी में स्थानीय लोग पटाखे फोड़ रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवादी लगातार गोलीबारी करते रहे। उन्होंने एक वाहन को आग भी लगा दी। उस वाहन के चालक ने किसी तरह अपनी जान बचाई। मैंने अपने बॉस से कहा कि मैं अपनी नौकरी छोड़ना चाहता हूं। मेरा परिवार भी यही चाहता है।’’

रविवार के हमले के बाद पुलिस और सेना ने तुरंत इलाके की घेराबंदी कर दी और हमलावरों का पता लगाने के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू कर दिया।

भाषा आशीष नरेश

नरेश

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)