नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि सोमवार को लागू हुई भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में पूर्ववर्ती आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) की तरह अधिकतम 15 दिन की पुलिस हिरासत का प्रावधान है। शाह ने इस भ्रम को दूर किया कि नए कानून में हिरासत अवधि बढ़ा दी गई है।
बीएनएस के साथ-साथ दो अन्य नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि यह भ्रम पैदा किया जा रहा है कि पुलिस हिरासत की अवधि बढ़ा दी गई है।
उन्होंने कहा, ‘मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि बीएनएस में भी हिरासत अवधि 15 दिन की है। पहले यदि किसी आरोपी को पुलिस हिरासत में भेजा जाता था और वह 15 दिन के लिए अस्पताल में भर्ती हो जाता था, तो उससे कोई पूछताछ नहीं होती थी, क्योंकि उसकी हिरासत अवधि समाप्त हो जाती थी। बीएनएस में अधिकतम 15 दिन की हिरासत होगी, लेकिन इसे 60 दिन की ऊपरी सीमा के भीतर टुकड़ों में लिया जा सकता है।’
शाह ने यह भी स्पष्ट किया कि बीएनएस के तहत पहला मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर में दर्ज किया गया और यह मोटरसाइकिल चोरी से संबंधित है। उन्होंने कहा कि यह मामला 1,80,000 रुपये का है।
गृहमंत्री शाह ने कहा कि दिल्ली में एक रेहड़ी-पटरी वाले के खिलाफ मामला बीएनएस के तहत दर्ज पहला मामला नहीं है और पुलिस ने समीक्षा के प्रावधान का उपयोग करके दिल्ली के मामले का निस्तारण कर दिया है।
बीएनएस, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) सोमवार को लागू हुए, जिन्होंने ब्रिटिशकालीन कानूनों क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली।
भाषा अमित दिलीप
दिलीप
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