नई दिल्ली। 2023 Election : त्रिपुरा में विपक्षी दल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने ‘‘भाजपा विरोधी और धर्मनिरपेक्ष ताकतों’’ से भाजपा की ‘जनविरोधी और संविधान विरोधी गतिविधियों’ को परास्त करने के लिए राजनीतिक गठबंधन बनाने का आग्रह किया है। माकपा के प्रदेश सचिव जितेंद्र चौधरी ने मंगलवार को यह बात कही।
वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता चौधरी ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि कांग्रेस को ‘दीवार पर लिखी इबारत’ पढ़नी चाहिए, अन्यथा वह और अलग-थलग हो जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘हम कोई ‘अवसरवादी गठबंधन’ नहीं बनाना चाहते, बल्कि धर्मनिरपेक्ष ताकतों के साथ एक राजनीतिक गठबंधन को मजबूत करने के पक्ष में हैं। बाद में भाजपा को हराने के लिए चुनावी गठबंधन कर सकते हैं।’’
चौधरी ने कहा, ‘‘हम भाजपा विरोधी धर्मनिरपेक्ष ताकतों से भाजपा की जनविरोधी, लोकतंत्र विरोधी और संविधान विरोधी गतिविधियों को उजागर करने वाले राजनीतिक कार्यक्रम शुरू करने का आग्रह कर रहे हैं।’’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुदीप रॉय बर्मन ने सोमवार को घोषणा की थी कि पार्टी 2023 में होने वाले चुनावों में भाजपा को हराने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। क्या कांग्रेस अगले विधानसभा चुनाव में माकपा के साथ गठबंधन करने को तैयार है, इस पर रॉय बर्मन ने कहा था, ‘‘हम भाजपा को हराने के लिए सब कुछ करेंगे।’’
माकपा नेता ने दावा किया कि 2018 के राज्य चुनावों के दौरान भाजपा के पक्ष में बनी लहर ‘अब त्रिपुरा में मौजूद नहीं है।’ चौधरी ने दावा किया, ‘‘अब, उनका वोट प्रतिशत पिछले साढ़े चार साल के उनके कुशासन के कारण केवल 20 प्रतिशत तक सिमट गया है।’’
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)-इंडिजीनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) गठबंधन ने 2018 के त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में 60 सदस्यीय सदन में दो-तिहाई बहुमत हासिल किया था, जिससे पूर्वोत्तर के इस राज्य में 25 साल तक रहे वाम शासन का अंत हो गया था।
माकपा के पूर्व सांसद चौधरी ने आरोप लगाया, ‘‘वे (भाजपा कार्यकर्ता) 2023 के विधानसभा चुनाव को जीतने के लिए काला धन बांटने और बाहुबल का सहारा लेने की कोशिश कर रहे हैं।’’
भाजपा की वोट हिस्सेदारी 2018 के चुनाव में कुल 44 प्रतिशत थी। वहीं, माकपा नीत वाम मोर्चे की वोट हिस्सेदारी 2013 के 52 प्रतिशत से घटकर 45 प्रतिशत हो गई थी, जबकि, आईपीएफटी को 7 प्रतिशत वोट मिले थे।
राज्य विधानसभा में भाजपा के 36 विधायक हैं, जबकि उसकी सहयोगी पार्टी आईपीएफटी के सात विधायक हैं, जबकि माकपा के 15 विधायक हैं। हाल में संपन्न हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने एक सीट जीती है।
विधानसभा अध्यक्ष रतन चक्रवर्ती ने मंगलवार को कहा कि पिछले साल त्रिपुरा विधानसभा के सदस्य के रूप में इस्तीफा देने वाले आईपीएफटी के बागी विधायक बृशकेतु देब बर्मा को इस्तीफे के नियमों का पालन नहीं करने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था। देब बर्मा को अयोग्य करार दिए जाने के साथ आईपीएफटी सदस्यों की संख्या आठ से घटकर सात हो गई है।