भाजपा को एक सांसद की आवाज दबाने की भारी कीमत चुकानी पड़ी, 63 सीट गंवाई: महुआ मोइत्रा |

भाजपा को एक सांसद की आवाज दबाने की भारी कीमत चुकानी पड़ी, 63 सीट गंवाई: महुआ मोइत्रा

भाजपा को एक सांसद की आवाज दबाने की भारी कीमत चुकानी पड़ी, 63 सीट गंवाई: महुआ मोइत्रा

:   Modified Date:  July 1, 2024 / 07:32 PM IST, Published Date : July 1, 2024/7:32 pm IST

नयी दिल्ली, एक जुलाई (भाषा) तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि एक सांसद की आवाज दबाने की सत्तारूढ़ पार्टी को बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ी है।

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए तृणमूल कांग्रेस की सदस्य मोइत्रा ने पिछली लोकसभा में उन्हें निष्कासित किये जाने को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधा।

उन्होंने कहा कि उनकी आवाज दबाने की सत्तारूढ़ दल को बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ी, जिसके कारण भाजपा के 63 सांसदों को हार का सामना करना पड़ा।

मोइत्रा ने कहा कि इस बार भाजपा विपक्ष के साथ वैसा व्यवहार नहीं कर पाएगी, जैसा उसने पिछली लोकसभा के दौरान किया था।

17वीं लोकसभा में सवाल पूछने के लिए कथित रूप से पैसे लेने के मामले में अपने निष्कासन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘पिछली बार जब मैं खड़ी हुई थी, तो मुझे बोलने नहीं दिया गया था। एक सांसद की आवाज दबाने की सत्तारूढ़ पार्टी को बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे चुप कराने की कोशिश में जनता ने उन्हें चुप करा दिया, जिससे उन्हें 63 सांसद गंवाने पड़े… मुझको बैठाने के चक्कर में जनता ने आपको बिठा दिया, आपके 63 सांसद बिठा दिए गए।’’

मोइत्रा ने संसद में राष्ट्रपति की अगुवाई ‘सेंगोल’ के साथ किए जाने की निंदा की और इसे राजशाही का प्रतीक बताते हुए कहा कि इसका लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस चुनाव में भाजपा के ‘राजतंत्र’ को इस देश के ‘लोकतंत्र’ ने कम कर दिया है। यह स्थिर सरकार नहीं है। यह कई सहयोगियों पर निर्भर है, जिनका यू-टर्न का इतिहास रहा है। हम इस बार 234 योद्धा हैं, जो आग पर चलकर आए हैं। आप हमारे साथ पिछली बार जैसा व्यवहार नहीं कर पाएंगे।’’

राष्ट्रपति के अभिभाषण का जिक्र करते हुए मोइत्रा ने उसमें कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को छोड़ दिए जाने का दावा किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में छह विषय हैं, जिसमें पूर्वोत्तर के लिए बजट में चार गुना वृद्धि की बात भी है, लेकिन फिर भी भाषण में ‘मणिपुर’ शब्द कहीं नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान ‘मुस्लिम’, ‘मदरसा’, ‘मटन’, ‘मछली’ और ‘मुजरा’ शब्दों का जिक्र किया, लेकिन ‘मणिपुर’ का जिक्र नहीं किया।’’

मोइत्रा ने महिला सशक्तीकरण के सरकार के दावों को चुनौती दी। उन्होंने कहा, ‘‘यह पूरी तरह से झूठ है। आपने संसद में आरक्षण में देरी की, क्योंकि आपको ‘नारी शक्ति’ का डर है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस बार सिर्फ 74 महिला सांसद हैं, जबकि भाजपा के 240 सदस्यों में सिर्फ़ 30 सदस्य महिलाएं हैं। इसके विपरीत, पिछली बार तृणमूल कांग्रेस की 37 प्रतिशत महिला सांसद इस सदन में थीं और इस बार 38 प्रतिशत हैं।’’

मोइत्रा ने कहा, ‘‘यद्यपि हमने तीन लाख ‘लखपति दीदी’ को सशक्त बनाया है, लेकिन भाजपा का ध्यान ‘अरबपति दादा’ बनाने पर केंद्रित है।’’

जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे से संबंधित अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने पर सवाल खड़े करते हुए तृणमूल सदस्य ने कहा, ‘‘अगर इसे निरस्त करना इतना अच्छा विचार था, तो भाजपा ने बारामूला, श्रीनगर और अनंतनाग-राजौरी संसदीय क्षेत्रों में उम्मीदवार क्यों नहीं उतारे? आपने लद्दाख को ‘डाउनग्रेड’ कर दिया और पांच साल बाद वे अब भी छठी अनुसूची में शामिल होने का इंतजार कर रहे हैं। परिणामस्वरूप, लद्दाखियों ने आपको (चुनाव में) तीसरे स्थान पर धकेल दिया।’’

मोइत्रा ने निर्वाचन आयोग पर भी निशाना साधा और उस पर पक्षपात का आरोप लगाया।

सरकार की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की आलोचना करते हुए मोइत्रा ने कहा, ‘‘आप वंदे भारत और बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए 1.08 लाख करोड़ रुपये मंजूर कर रहे हैं। पिछले साल बालासोर में तीन रेलगाड़ियां टकरा गईं, क्योंकि उनमें टक्कर-निरोधक बचाव प्रणाली (कवच) नहीं थी। पिछले सप्ताह हुई ट्रेन दुर्घटना में कोई ‘कवच’ नहीं था। मौजूदा कोष जारी किये जाने के परिप्रेक्ष्य में सभी रेलगाड़ियों में ‘कवच’ लगाने में 50 साल लगेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा विमानन क्षेत्र घरेलू खतरों का केंद्र बन गया है, जिसमें नवनिर्मित हवाई अड्डों की छतें गिर रही हैं और प्रगति मैदान सुरंग में पानी भर गया है। ऐसा तब होता है जब बुनियादी ढांचे की योजना खराब तरीके से बनाई जाती है और ‘सर्वोच्च नेता’ फोटो खिंचवाने के लिए जल्दबाजी करते हैं।’’

मोइत्रा ने कहा, ‘‘लोग मुझसे (निष्कासन के बाद) कहते थे, ‘महुआ, तुमने बहुत कुछ खो दिया। तुमने अपनी सदस्यता, अपना घर खो दिया।’ मुझे एक सर्जरी में अपना गर्भाशय भी खोना पड़ा, लेकिन आप जानते हैं कि मुझे क्या मिला? मुझे डर से मुक्ति मिली।’’

भाषा सुरेश वैभव

वैभव

 

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