बेंगलुरु, 18 जनवरी (भाषा) भारतीय जनता पार्टी ने शनिवार को मुख्यमंत्री सिद्धरमैया से तत्काल पद छोड़ने की मांग की। विपक्षी दल ने यह मांग प्रवर्तन निदेशालय द्वारा एमयूडीए की 142 अचल संपत्तियों को कुर्क करने की पृष्ठभूमि में की है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कहा कि उसने सिद्धरमैया एवं अन्य के खिलाफ दर्ज मामले के संबंध में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएल) 2002 के प्रावधानों के तहत 142 अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है, जिनका बाजार मूल्य करीब 300 करोड़ रुपये है।
ईडी ने कहा कि कुर्क की गई संपत्तियां विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर पंजीकृत हैं जो रियल एस्टेट व्यवसायी और एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘अगर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया अपने कार्यालय की शुचिता को महत्व देते हैं, तो उन्हें तुरंत पद छोड़ देना चाहिए और निष्पक्ष जांच की अनुमति देनी चाहिए। कर्नाटक के लोग पारदर्शिता, जवाबदेही और न्याय के हकदार हैं।’’
शिकारीपुरा के भाजपा विधायक ने इसे मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) साइट आवंटन घोटाले के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी जीत करार दिया है।
एमयूडीए घोटाले के बारे में बताते हुए ईडी ने कहा, ‘‘आरोप है कि सिद्धामैया ने प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहित तीन एकड़ 16 गुंटा भूमि के बदले, अपनी पत्नी बी.एम. पार्वती के नाम 14 भूखंडों का मुआवजा पाने के लिए राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल किया है।’’
जांच एजेंसी ने कहा, ‘‘यह भूमि मूल रूप से प्राधिकरण द्वारा 3,24,700 रुपये में अधिग्रहित की गई थी। पॉश इलाके में 14 भूखंडों के रूप में मुआवजा (लगभग) 56 करोड़ रुपये का है।’’
ईडी ने कहा कि पार्वती को मुआवज़ा भूखंडों के अवैध आवंटन में पूर्व एमयूडीए आयुक्त डी बी नटेश की भूमिका महत्वपूर्ण साबित हुई है।
विजयेंद्र ने आरोप लगाया कि ईडी की जांच ने सिद्धरमैया से जुड़े महत्वपूर्ण भ्रष्टाचार को उजागर किया है, जिन्होंने कथित तौर पर पत्नी के नाम पर अवैध रूप से भूखंड आवंटित करने के लिए अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल किया।
प्रदेश भाजपा प्रमुख ने कहा कि जब राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने सिद्धरमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी, तो “कांग्रेस ने राज्यपाल के संवैधानिक अधिकार का अपमान करने और उसे कमजोर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।”
उन्होंने बताया कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भी राज्यपाल के फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि मुख्यमंत्री के परिवार के खिलाफ आरोपों की गहन जांच की जरूरत है।
ईडी की सराहना करते हुए विजयेंद्र ने कहा कि जांच एजेंसी ने ‘सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करके जांच को विफल करने के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के किसी भी दुर्भावनापूर्ण प्रयास को विफल कर दिया।’’
भाजपा नेता ने यह भी कहा कि भाजपा और उसकी सहयोगी जद(एस) ‘‘मुख्यमंत्री और उनके समर्थकों द्वारा सत्ता के इस खुलेआम दुरुपयोग’’ के खिलाफ विधानसभा के अंदर और बाहर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही है।
भाषा रंजन प्रशांत
प्रशांत
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)