नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) कांग्रेस ने बुधवार को दावा किया कि महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने किसानों से ज्यादा किसी की ‘पीठ में छुरा नहीं घोंपा’ है।
कांग्रेस के प्रभारी महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने बढ़ती लागत के बावजूद किसानों को ‘शून्य सहायता’ प्रदान की है और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी दर्जा देने से भी इनकार कर दिया है।
रमेश ने कहा कि किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ती है, क्योंकि सूखे के दौरान उन्हें खराब उपज का सामना करना पड़ता है और जब बारिश प्रचुर मात्रा में होती है – जैसे कि 2024 में – तो किसानों को अधिक उपज के कारण कीमतों में अचानक गिरावट का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि इसका एकमात्र समाधान वही है जिसकी कांग्रेस ने गारंटी दी है, राष्ट्रीय स्तर पर भी और राज्य स्तर पर भी न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा, और स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले के अनुसार एमएसपी को लागू करना – मतलब खेती की समग्र लागत का 1.5 गुना मूल्य।
रमेश ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘वर्ष 2013: देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के किसानों को सोयाबीन के लिए 6,000 रुपए प्रति क्विंटल का दाम देने का वादा किया था। 2014: गुजरात के तत्कालीन और पूरी तरह से ‘बायोलॉजिकल मुख्यमंत्री’ ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने का वादा किया, जिससे एमएसपी को कानूनी दर्जा मिलता। 2024: सोयाबीन लगभग 4,200 रुपए प्रति क्विंटल पर बिक रहा जो फडणवीस के 6,000 रुपए के वादे और 4,892 रुपए की तय एमएसपी से भी नीचे।’’
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सोयाबीन अनुमानित रूप से 50 लाख हेक्टेयर में उगाया जाता है। इसके अलावा करीब 40 लाख हेक्टेयर में कपास भी उगाया जाता है, जिसकी कीमत भी हाल के वर्षों में गिरी है।
रमेश ने दावा किया, ‘‘इन दोनों फसलों के किसानों को पूरी तरह से उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। सरकार ने 13 लाख टन सोयाबीन खरीदने का बड़ा वादा किया था, लेकिन अब तक मुश्किल से 2,000 टन ही खरीदा जा सका है। आमतौर पर भारतीय कपास निगम द्वारा बड़े पैमाने पर कपास की खरीद की जाती है, लेकिन इस साल वह भी नहीं हो पाई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘शायद ही कोई ऐसा कोई क्षेत्र है जहां भाजपा ने किसानों की पीठ में छुरा न घोंपा हो। उन्होंने बढ़ती इनपुट कीमतों पर कोई सहायता प्रदान नहीं की है। उन्होंने एमएसपी को कानूनी दर्जा देने से इनकार कर दिया है।’’
उनकी यह टिप्पणी महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाले चुनाव के लिये प्रचार के बीच आई है। मतगणना 23 नवंबर को होगी।
भाषा
प्रशांत संतोष
संतोष
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