भुवनेश्वर, 25 सितंबर (भाषा) ओडिशा में विपक्षी बीजू जनता दल (बीजद) ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर ‘आदिवासी विरोधी’ होने का आरोप लगाते हुए बुधवार को पूर्ववर्ती नवीन पटनायक सरकार द्वारा शुरू की गई कई योजनाओं को बंद कर आदिवासी समुदाय की कथित रूप से उपेक्षा करने के लिए हमला बोला।
बीजद सांसद निरंजन बिसी और सस्मित पात्रा तथा पार्टी के मीडिया समन्वयक प्रियब्रत माझी ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए यह आरोप लगाया।
वहीं सत्तारूढ़ भाजपा ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पिछली बीजद सरकार अपने 24 साल के कार्यकाल में पंचायत विस्तार अनुसूचित क्षेत्रों (पेसा) अधिनियम को लागू करने सहित आदिवासी मुद्दों को हल करने में विफल रही।
बीजद सांसद बिसी ने आरोप लगाया, “भाजपा सरकार ने पिछली सरकार द्वारा बनाए गए विशेष विकास परिषद (एसडीसी) को खत्म कर दिया। एसडीसी के तहत आदिवासी लोगों को लाभ पहुंचाया गया और बीजद सरकार के दौरान विकास कार्य किए जा रहे थे। हालांकि, मोहन माझी सरकार ने इसे रोक दिया।”
उन्होंने दावा किया कि आदिवासी समुदाय के बीच अनिश्चितता और भय का माहौल हैं, क्योंकि भाजपा शासन में विकास रुक गया है। बिसी ने कहा, “भाजपा सरकार के तहत आदिवासी विकास दूर का सपना बन गया है।”
उन्होंने राज्य भर में वन भूमि अधिकारों के लिए चल रहे विरोध प्रदर्शनों का उल्लेख किया।
बीजद ने यह भी दावा किया कि कई समुदाय अभी भी आदिवासी दर्जे का इंतजार कर रहे हैं। पार्टी ने जूनियर शिक्षकों की भर्ती में भी उपेक्षा का आरोप लगाया, जिसमें अधिकारियों ने उपयुक्त उम्मीदवारों की कमी का हवाला दिया।
बिसी ने कहा, “अगर देश एक आदिवासी राष्ट्रपति और राज्य एक आदिवासी मुख्यमंत्री चुन सकता है, तो यह दावा करना गलत है कि शिक्षण पदों के लिए कोई उपयुक्त उम्मीदवार नहीं हैं।”
भाजपा प्रवक्ता अनिल बिस्वाल ने बीजद के आरोपों को खारिज करते हुए पटनायक सरकार पर अध्यादेश के माध्यम से आदिवासियों की भूमि जब्त करने के प्रयासों का आरोप लगाया।
इस अध्यादेश को भाजपा के विरोध के बाद वापस ले लिया गया था।
बिस्वाल ने कहा, “तत्कालीन पटनायक सरकार को भाजपा के कड़े विरोध के कारण अध्यादेश वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।”
उन्होंने कलिंग नगर में भूमि अधिग्रहण के दौरान आदिवासी समुदायों से जुड़ी हिंसक घटनाओं का हवाला दिया।
बिस्वाल ने कहा कि 2024 विधानसभा चुनावों के दौरान अनुसूचित क्षेत्रों में बीजद की हार आदिवासी मतदाताओं द्वारा अस्वीकृति का संकेत है।
भाषा जितेंद्र मनीषा
मनीषा
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