जिम्मेदारी निभाने में विफल रहे बीरेन सिंह, प्रधानमंत्री मणिपुर क्यों नहीं जा रहे: विपक्ष |

जिम्मेदारी निभाने में विफल रहे बीरेन सिंह, प्रधानमंत्री मणिपुर क्यों नहीं जा रहे: विपक्ष

जिम्मेदारी निभाने में विफल रहे बीरेन सिंह, प्रधानमंत्री मणिपुर क्यों नहीं जा रहे: विपक्ष

:   Modified Date:  August 30, 2024 / 09:25 PM IST, Published Date : August 30, 2024/9:25 pm IST

नयी दिल्ली, 30 अगस्त (भाषा) विपक्ष ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की टिप्पणियों को लेकर शुक्रवार को उन पर और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा तथा सवाल किया कि जब प्रधानमंत्री पूरी दुनिया में जा रहे हैं तो हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा करके शांति की स्थापना की पहल क्यों नहीं कर सकते।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह अपनी विश्वसनीयता खो चुके हैं और उनके रहते हालात में बेहतरी नहीं आ सकती।

इससे पहले, बीरेन सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि केंद्र की मदद से छह महीने में पूर्ण शांति बहाल की जाएगी। साथ ही, पद छोड़ने से इनकार करते हुए कहा कि उन्होंने न तो कोई अपराध किया है और न ही कोई घोटाला किया है।

सिंह ने पहली बार खुलासा किया कि उन्होंने कुकी-जो और मेइती नेताओं के साथ बातचीत करने के लिए एक दूत नियुक्त किया है।

आधिकारिक गणना के अनुसार, मई 2023 से कुकी-जो और मेइती जातीय समूहों के बीच संघर्ष में 226 लोग मारे गए हैं।

सिंह ने कहा, ‘‘इसे बातचीत के जरिए ही सुलझाया जा सकता है। संवाद ही एकमात्र रास्ता है।’’ उन्होंने बताया कि नगा विधायक और ‘हिल एरिया कमेटी’ के अध्यक्ष डिंगांगलुंग गंगमेई को दूत नियुक्त किया गया है।

यह पूछे जाने पर कि शांति बहाल करने के वास्ते उन्होंने स्वयं के लिए क्या समय-सीमा तय की है, सिंह ने संकेत दिया कि शांति लाने में बातचीत के साथ-साथ केंद्र सरकार की भागीदारी अहम होगी, चाहे वह गृह मंत्रालय के माध्यम से हो या अन्य एजेंसी के माध्यम से।

उनकी टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए रमेश ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मणिपुर के लोग चाहते हैं कि प्रधानमंत्री राज्य का दौरा करें और प्रधानमंत्री नहीं गए। यह एक असाधारण स्थिति है, वह पूरी दुनिया में गए लेकिन उन्हें कुछ घंटों के लिए मणिपुर जाने का मौका नहीं मिला। प्रधानमंत्री जो कर रहे हैं वो अस्वीकार्य है और उन्होंने जो किया है वह अक्षम्य है।’’

रमेश ने दावा किया कि मणिपुर में हिंसा को लगभग 16 महीने बीत चुके हैं, लेकिन कोई शांति नहीं है, कोई सद्भाव नहीं है, कोई मेल-मिलाप नहीं है, कोई सामान्य स्थिति नहीं है।

उनका कहना था, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने वास्तव में इसे संवैधानिक मशीनरी का टूटना कहा है। इसलिए मुझे नहीं पता कि मुख्यमंत्री किस दुनिया में रह रहे हैं?’’

उन्होंने दावा किया कि मणिपुर के मुख्यमंत्री ने विश्वसनीयता खो दी है।

रमेश के अनुसार, मुख्यमंत्री ने पहले जो कहा है, उसके खुलासे और ऑडियो रिकॉर्डिंग हुई हैं, जिनकी जांच की जानी चाहिए।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा ने आरोप लगाया, ‘‘मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी राज्य के लोगों के जीवन और आजीविका की रक्षा करना है और बीरेन सिंह इसमें बुरी तरह विफल रहे हैं। इसलिए उन्हें पद से हटा दिया जाना चाहिए। भले ही वह इस्तीफा नहीं दें, लेकिन उनमें कोई नैतिकता नहीं है।’’

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता मनोज झा ने कहा कि सभी ने जातीय संघर्ष से ग्रस्त मणिपुर के दृश्य देखे हैं और सिंह को अपनी ‘‘नैतिकता के स्तर’’ के बारे में विचार करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘सभी ने वो दृश्य देखे…हाल ही में एक ऑडियो क्लिप जारी किया गया था, जिसमें गृह मंत्री के साथ उनकी बातचीत के बारे में खुलासे थे…’’

तृणमूल कांग्रेस की नेता सागरिका घोष ने कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक चिकित्सक से बलात्कार और हत्या के खिलाफ प्रदर्शनों से निपटने के पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के तरीके पर एन बीरेन सिंह की टिप्पणियों को लेकर उनकी आलोचना की।

घोष ने कहा कि मणिपुर की स्थिति के मद्देनजर पश्चिम बंगाल पर टिप्पणी करने का उन्हें कोई ‘‘नैतिक अधिकार’’ नहीं है।

उन्होंने मणिपुर की स्थिति की ओर इशारा करते हुए दावा किया कि हजारों लोग राहत शिविरों में लगातार परेशानियों का सामना कर रहे हैं।

भाषा हक

हक संतोष

संतोष

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)