बिहार विधान परिषद ने मुख्यमंत्री के खिलाफ टिप्पणी के लिए राजद एमएलसी के निष्कासन को सही ठहराया |

बिहार विधान परिषद ने मुख्यमंत्री के खिलाफ टिप्पणी के लिए राजद एमएलसी के निष्कासन को सही ठहराया

बिहार विधान परिषद ने मुख्यमंत्री के खिलाफ टिप्पणी के लिए राजद एमएलसी के निष्कासन को सही ठहराया

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Modified Date: January 16, 2025 / 09:11 PM IST
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Published Date: January 16, 2025 9:11 pm IST

नयी दिल्ली, 16 जनवरी (भाषा) बिहार विधान परिषद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ टिप्पणी के लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) सुनील कुमार सिंह को सदन से निष्कासित करने के अपने फैसले को उच्चतम न्यायालय में बृहस्पतिवार को सही ठहराया।

विधान परिषद ने दलील दी कि सिंह ने न तो आचार समिति की बैठकों में हिस्सा लिया और न ही नीतीश के खिलाफ अपनी टिप्पणी पर कोई अफसोस जाहिर किया।

विधान परिषद की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति एन कोटिस्वर सिंह की पीठ से कहा कि सिंह ने आचार समिति के सदस्यों की क्षमता और ऐसी समिति के गठन के फैसले पर भी सवाल उठाया था।

कुमार ने दलील दी कि सिंह अपने मामले के एक अन्य राजद एमएलसी मोहम्मद कारी सोहेब के मामले के समान होने का दावा नहीं कर सकते, जिन्हें इसी तरह की टिप्पणी को लेकर दो दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि सोहेब ने आचार समिति की बैठकों में हिस्सा लिया और आरोपों का जवाब दिया।

हालांकि, पीठ ने कहा कि किसी समिति के गठन पर सवाल उठाना और बैठकों में शामिल नहीं होना कदाचार नहीं माना जा सकता। उसने कहा कि सिंह ने मुख्यमंत्री के खिलाफ अपनी टिप्पणियों से इनकार नहीं किया है और उन्होंने बचाव के लिए समिति के गठन पर सवाल उठाने जैसे कानूनी विकल्प अपनाने की कोशिश की, इसलिए संभवत: उन्हें कुछ लाभ दिया जा सकता है।

कुमार ने कहा कि सिंह को पहले भी कदाचार के लिए विधान परिषद से निलंबित किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि सिंह को विधान परिषद की कार्यवाही की वीडियो क्लिप नहीं दी जा सकती, क्योंकि यह सदन की गोपनीय संपत्ति है।

इसके बाद पीठ ने मामले की सुनवाई 20 जनवरी तक के लिए टाल दी।

बुधवार को शीर्ष अदालत ने निर्वाचन आयोग को बिहार विधान परिषद की उस सीट के लिए हुए उपचुनाव के नतीजे घोषित करने से रोक दिया था, जिसका प्रतिनिधित्व सदन से निष्कासित राजद नेता सिंह कर रहे थे।

सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने शीर्ष अदालत की पीठ के समक्ष दलील दी थी कि मामले में बिहार के मुख्यमंत्री के लिए ‘पलटूराम’ शब्द का इस्तेमाल किए जाने का आरोप है और एक अन्य विधान परिषद सदस्य ने भी इस शब्द का इस्तेमाल किया।

सिंघवी ने कहा था कि हालांकि, केवल सिंह को ही निष्कासित किया गया, जबकि अन्य विधान परिषद सदस्य को केवल कुछ दिनों के लिए निलंबित किया गया।

सिंह को पिछले साल 26 जुलाई को बिहार विधान परिषद में अनुचित आचरण के लिए सदन से निष्कासित कर दिया गया था।

राजद नेता लालू प्रसाद और उनके परिवार के करीबी समझे जाने वाले सिंह पर 13 फरवरी 2024 को सदन में कहासुनी के दौरान नीतीश के खिलाफ नारे लगाने का आरोप था।

छह जनवरी को शीर्ष अदालत ने कहा था कि विधायकों को असंतोष जताते समय भी मर्यादित रहना चाहिए। 2024 में आचार समिति के बिहार विधान परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश नारायण सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपने के एक दिन बाद सदन से राजद एमएलसी के निष्कासन का प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित कर दिया गया था।

आचार समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पूछताछ के दौरान सोहेब ने अपनी टिप्पणी के लिए खेद व्यक्त किया था, लेकिन सिंह ने अड़ियल रुख बरकरार रखते हुए कोई अफसोस नहीं जाहिर किया था।

भाषा पारुल माधव

माधव

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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